कानपुर/भोपाल 4 मई | मध्य प्रदेश में हुए व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) घोटाले के प्रमुख आरोपी रमेश शिवहरे को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और विशेष कार्य बल (एसटीएफ) के संयुक्त दल ने कानपुर से मंगलवार देर रात गिरफ्तार कर लिया। रमेश पांच प्रकरणों में चार वर्षो से फरार था। व्यापमं घोटाले की जांच सीबीआई को सौंपे जाने के बाद यह बड़ी कार्रवाई है। एसटीएफ के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अरविंद कुमार ने पत्रकारों को बताया, “शिवहरे की लोकेशन कल्याणपुर आवास विकास में मिलने पर सीबीआई के साथ मिलकर संयुक्त रूप से उसे गिरफ्तार कर लिया गया। उसे घर से गिरफ्तार किया गया। केद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) अदालत में ट्रांजिट रिमांड के लिए आवेदन करेगी।’
कुमार के मुताबिक, “रमेश ने पूछताछ के दौरान व्यापमं घोटाले से जुड़े होने की बात स्वीकार की है। उसने कई छात्रों को परीक्षा में पास करवाया है। इसके साथियों के विषय में जानकारी ली जा रही है।”
एसटीएफ सूत्रों के मुताबिक, “महोबा की पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष अंशु शिवहरे के पति रमेश शिवहरे को सीबीआई वर्ष 2012 से ही तलाश रही थी। उसके ऊपर मध्य प्रदेश सरकार ने पांच हजार रुपये इनाम भी घोषित किया था। उसके घर पर कुर्की का नोटिस भी चस्पा किया जा चुका था।”
मध्य प्रदेश के चर्चित व्यापमं घोटाले की अब तक की स्थिति पर नजर दौड़ाएं तो पता चलता है कि इस घोटाले को लेकर बनी एसटीएफ ने 55 मामले दर्ज किए थे, जिनमें 2500 से अधिक आरोपी बनाए गए थे। एसटीएफ ने इनमें से 21 लोगों को गिरफ्तार किया था, 1200 के खिलाफ न्यायालय में चालान पेश किया जा चुका है। वहीं 491 आरोपी अब भी फरार हैं।
इस मामले से जुड़े 48 लोगों की मौत हो चुकी है, जिसमें कई संदिग्ध हैं। इसमें आजतक के पत्रकार अक्षय सिंह की मौत भी शामिल है।
मध्य प्रदेश में व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) वह संस्था है (अब इसका नाम प्रोफेशनल एक्जामिनेशन बोर्ड), जो इंजीनियरिंग कॉलेज, मेडिकल कॉलेज, अन्य व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में दाखिले से लेकर तृतीय व चतुर्थ श्रेणी की वे सारी भर्ती परीक्षाएं आयोजित करता है, जो मप्र लोक सेवा आयोग आयोजित नहीं करता है। मसलन पुलिस उपनिरीक्षक, आरक्षक, रेंजर शामिल हैं। इन दाखिलों और भर्तियों में हुई गड़बड़ी का खुलासा होने के बाद जुलाई 2013 में पुलिस में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी।
सूत्रों के अनुसार, व्यापमं द्वारा आयोजित की जाने वाली पीएमटी में होने वाली गड़बड़ियों के मामले में पहली बड़ी कार्रवाई इंदौर की अपराध शाखा ने सात जुलाई, 2013 को की थी और फर्जी तरीके से परीक्षा देने वाले 20 से ज्यादा लोगों को दबोचा था। उसके बाद तो इंदौर में ही इस फर्जीवाड़े का मास्टर माइंड डॉ. जगदीश सागर पकड़ा गया था।
व्यापमं मामले की अन्य परीक्षाओं में गड़बड़ी का खुलासा होने पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस मामले की जांच की जिम्मेदारी एसटीएफ को सौंप दी। उसके बाद उच्च न्यायालय ने पूर्व न्यायाधीश चंद्रेश भूषण की अध्यक्षता में एसआईटी गठित की। वर्तमान में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की निगरानी में सीबीआई मामले की जांच कर रही है।
सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर जांच कर रही सीबीआई अब तक सौ से ज्यादा प्राथमिकी दर्ज कर चुकी है और इस मामले से जुड़े लोगों की संदिग्ध मौतों के माामले में भी जांच शुरू है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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