शिमला, 25 अप्रैल (जनसमा)। नई दिल्ली के विज्ञान भवन में रविवार को ‘जस्टिस डिलिवरी सिस्टम’ पर राज्यों के मुख्यमंत्रियों एवं मुख्य न्यायाधीशों के सम्मेलन में हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि विवादों के शांतिपूर्ण निपटारे से समाज में सामंजस्य स्थापित होता है और उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कानून की वर्तमान संरचना के साथ-साथ विवादों के वैकल्पिक समाधान तीव्र न्याय प्रदान करने में कारगर सिद्ध हुए हैं। उन्होंने कहा कि वैकल्पिक समाधान प्रक्रिया, लाइव आरबीट्रेशन, मध्यस्थता, आपसी समझौता, न्यायिक निपटारे तथा लोक अदालतों से न्यायालयों में लम्बित मामलों में काफी कमी आई हैं
वीरभद्र सिंह ने कहा कि हिमाचल प्रदेश की राज्य अभियोग नीति पूरी तरह से स्पष्ट है, जिसमें कहा गया है कि सरकार से सम्बद्ध मामलों पर निर्दिष्ट निर्रथक मुकदमों से प्रत्येक स्तर पर बचा जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में राज्य प्रशासनिक ट्रिब्यूनल के बनने से सरकारी कर्मचारियों को न केवल शीघ्र न्याय मिल रहा है, बल्कि राज्य उच्च न्यायालय का बोझ भी कम हुआ है।
वीरभद्र सिंह ने कहा कि राज्य सरकार ने प्रदेश ने पूरे साजो-सामान सहित 6 सचल यातायात मैजिस्ट्रेट न्यायालयों का सृजन किया है ताकि न्यायालयों में मोटर वाहनों के लम्बित मामलों का शीघ्र निपटारा किया जा सके।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने शिमला के समीप न्यायिक अकादमी के निर्माण के लिए 28.50 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की है। मुख्यमंत्री ने परियोजना का निर्माण पूरा करने के लिए केन्द्र सरकार से 100 करोड़ रुपये की अतिरिक्त धन राशि जारी करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि शिमला में राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए बजट का प्रावधान किया गया है।
वीरभद्र सिंह ने कहा कि राज्य सरकार ने 12 किशोर अपराध न्याय बोर्ड, 12 शिशु कल्याण समितियां, 110 विशेष किशोर अपराध पुलिस इकाईयां, चार जि़ला शिशु संरक्षण इकाईयां तथा 26 बाल गृहों की स्थापना करके बाल अपराध न्याय प्रणाली को सुदृढ़ किया है।
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