शारीरिक संबंध से लंबे समय तक इनकार, तलाक का आधार

नई दिल्ली, 11 सितंबर | नौ साल पूर्व हुए विवाह को समाप्त करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने दोहराया कि जीवन साथी द्वारा बगैर पर्याप्त कारण के यौन संबंध बनाने से लंबे समय तक इनकार मानसिक यातना के बराबर है और यह तलाक का आधार हो सकता है। न्यायमूर्ति प्रदीप नंदराजग और प्रतिभा रानी ने एक व्यक्ति को तब तलाक की अनुमति दे दी, जब उसकी इस बात पर ध्यान दिया कि शादी हो नहीं पाई। वह उनके दफ्तर गई और उसके खिलाफ उसके अधिकारी के पास झूठी शिकायत दर्ज करा दी, जिसकी वजह से उसे नौकरी छोड़नी पड़ी।

पीठ ने कहा, ये सभी कार्य व्यक्तिगत रूप से और कुल मिलाकर पति के साथ निर्दयता से पेश आने के बराबर है। साथ ही अदालत ने परिवार न्यायालय के एक अप्रैल के उस फैसले को बरकरार रखा, जिसमें उसने शादी को शारीरिक संबंध विहीन पाते हुए विवाह को रद्द कर दिया था।

वह महिला इस फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय पहुंची थी, लेकिन शुक्रवार को अदालत ने उसकी अपील खारिज कर दी।

यह फैसला देते हुए उच्च न्यायालय ने सर्वोच्च न्यायालय के उस फैसले का हवाला दिया जिसमें कहा गया है कि पत्नी या पति दोनों में से कोई भी यदि बिना पर्याप्त कारण के लंबे समय तक यदि शारीरिक संबंध बनाने की इजाजत नहीं देता तो वह उसके जीवनसाथी के साथ मानसिक यातना के बराबर है।

अदालत को 46 वर्षीय पति ने बताया कि वर्ष 2007 के नवंबर में उसकी शादी हुई थी। पत्नी ने चिकित्सकीय समस्या बताकर शारीरिक संबंध बनाने से इनकार कर दिया था। अगले साल जनवरी में वे दोनों हनीमून के लिए शिमला गए थे, लेकिन वहां भी पत्नी ने कहा कि छूने की कोशिश करने पर वह बालकनी से नीचे कूद कर जान दे देगी। इसके बाद दोनों दिल्ली लौट आए थे।

पत्नी दहेज की मांग कर परेशान करने और पति के बहुत अधिक शराब पीने का आरोप लगाया था। उसने अदालत को यह भी कहा था कि इससे पहले शादी होने की बात और पहली पत्नी से एक बच्ची होने की बात उसके पति ने छुपा ली थी।

–आईएएनएस