शिमला, 05 मार्च (जनसमा)। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि शिमला और हमीरपुर को सौर ऊर्जा शहर के रूप में विकसित करने की अंतिम योजना को भारत सरकार के नवीनकरण एवं अक्षय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा स्वीकृति प्रदान की गई है। मंत्रालय ने पंचायत भवन शिमला में 15 केडब्ल्यूपी सौर ऊर्जा संयंत्र तथा रिज शिमला व पुराने बस अड्डे में 20 केडब्लयूपी सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्वीकृति बारे सूचित किया है। ऊर्जा की बढ़ती आवश्यकता व पर्यावरण की चिंता मानवता के लिए एक चुनौती है,इसके लिए ऊर्जा के परम्परागत व अन्य विकल्पों का दोहन किया जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री हिम ऊर्जा और भारत सरकार के नवीन एवं अक्षय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा आज यहां होली डे होम में सोलर सिटी कार्यक्रम के तहत हिमाचल प्रदेश में सौर ऊर्जा तकनीकों को बढ़ावा देने के लिए आयोजित कार्यशाला के उद्घाटन के उपरांत बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि ऊर्जा संकट से निपटने के लिए जैव ईंधन , सौर ,पवन व भूतापीय ऊर्जा जैसे अक्षय ऊर्जा स्रोतों का विवेकपूर्ण उपयोग किया जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा देश ऊर्जा की भारी कमी से गुजर रहा है, जिससे औद्योगिक विकास व आर्थिक उन्नति में बाधा आ रही है। उन्होंने कहा कि नए ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना अनिवार्य रूप से अत्यधिक अस्थिर जीवाश्म ईंधन के आयात पर निर्भर रहती है। उन्होंने कहा कि सतत ऊर्जा की बढ़ती मांग के लिए सौर ऊर्जा प्रौद्योगिकी स्वच्छ अक्षय ऊर्जा स्रोत है , जिसमें ऊर्जा की अपार संभावनाएं हैं।
उन्होंने कहा कि हाल ही में सौर ऊर्जा प्रणाली के क्षेत्र में हुए विकास से यह औद्योगिक व घरेलू उपयोग के लिए आसानी से उपलब्ध है।
सिंह ने कहा कि हिमाचल प्रदेश राज्य में उपलब्ध विद्युत क्षमता के दोहान के लिए स्वच्छ व पर्यावरण मित्र प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय नीति का समर्थन करता है। उन्होंने कहा कि समय आ गया है कि प्रदूषण वाले जीवाश्म ईंधन के स्थान पर अक्षय ऊर्जा स्रोतों को अपनाना जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार अक्षय ऊर्जा संसाधनों के विकास के लिए कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि हमने राज्य में अक्षय ऊर्जा तकनीकों को बढ़ावा देकर पर्यावरण में गिरावट व वनों के कटान को कम करने के लिए योजना बनाई है।
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