न्यूयार्क, 13 अगस्त | इस समय शुक्र ग्रह (वीनस) का तापमान 462 डिग्री सेल्सियस है, और यहां जलवाष्प भी मौजूद नहीं है। यहां जीवन की कल्पना करना भी संभव नहीं है, लेकिन अनुमान है कि दो अरब साल तक पहले तक इस ग्रह पर जीवन रहा होगा। न्यूयार्क में नासा के गोडार्ड इंस्टीट्यूट फॉर स्पेस स्टडीज (जीआईएसएस) के वैज्ञानिकों ने बताया कि शुक्र ग्रह की प्राचीन जलवायु संबंधी कंप्यूटर मॉडलिंग के मुताबिक, उन दिनों शुक्र ग्रह पर कम गहराई वाले सागर थे और सतह का तापमान जीवों के रहने लायक था।
शुक्र ग्रह: फोटो नासा के सौजन्य से
जीआईएसएस के शोधार्थी और इस शोध के मुख्य लेखक माइकल वे ने बताया, “हमने पृथ्वी पर जलवायु परिवर्तन के मॉडल में प्रयुक्त होने वाले उपकरणों को अन्य ग्रहों की जलवायु का अध्ययन करने के लिए इस्तेमाल किया था।”
वे ने उल्लेख किया, “यह परिणाम बताते हैं कि प्राचीन शुक्र ग्रह वर्तमान ग्रह से बहुत अलग था।”
वर्तमान में शुक्र ग्रह पर कार्बन डाइऑक्साइड का वातावरण है। इस ग्रह पर कार्बन डाइऑक्साइड की परत पृथ्वी से 90 गुना अधिक मोटी है।
लंबे समय तक शोध के बाद वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि शुक्र ग्रह भी पृथ्वी के समान ही विभिन्न तत्वों से मिलकर बना होगा। खास बात यह कि शुक्र ने एक अलग विकासवादी पथ का अनुसरण किया।
1980 के दशक में नासा के पायनियर मिशन द्वारा सुझाव दिया गया कि शुक्र ग्रह पर मूल रूप से एक सागर रहा होगा।
पिछले अध्ययनों में पता चला कि यह ग्रह अपनी धुरी पर कितनी तेजी से घूमता था, जिससे इसका मौसम प्रभावित हुआ। शुक्र पर एक दिन पृथ्वी के 117 दिनों के बराबर होता है। हालांकि हालिया अध्ययनों से पता चला है कि शुक्र पर इस समय भी पृथ्वी जैसा वातावरण मौजूद है।
यह शोध ‘जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स’ पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
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