भोपाल, 03 फरवरी। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि श्रमिकों के हकों का संरक्षण करना राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। श्रमिकों की पंचायत बुलाकर उनकी राय से उनके कल्याण की योजनाओं को और सशक्त बनाया जायेगा। योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन के लिये श्रम विभाग के सभी रिक्त पद की आगामी तीन वर्ष में पूर्ति की जायेगी।
मुख्यमंत्री चौहान श्रम विभाग की योजनाओं की समीक्षा कर रहे थे। विभागीय मंत्री अंतरसिंह आर्य, मुख्य सचिव अंटोनी डिसा, प्रमुख सचिव श्रम एम.के. वार्ष्णेय, प्रमुख सचिव वित्त आशीष उपाध्याय, श्रमायुक्त के.सी. गुप्ता सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बाल श्रम को रोकने के लिये सतत निरीक्षण किया जाये तथा बाल श्रमिकों के समुचित पुनर्वास की व्यवस्था की जाये। बंधुआ मजदूरी पर सख्ती बरती जाये। साथ ही असंगठित श्रमिकों के कल्याण की योजनाएँ बनाई जाये। यह निर्णय लिया गया कि कारखाना अधिनियम में एकमुश्त दस वर्ष का लायसेंस लेने पर फीस में छूट दी जायेगी। साथ ही श्रमिकों द्वारा सायकिल खरीदी पर अनुदान बढ़ाया जायेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि श्रमिकों के कल्याण की जो योजनाएँ जरूरी हैं उनमें सुधार कर और सशक्त बनाया जायेगा ताकि ज्यादा से ज्यादा श्रमिक लाभान्वित हो सकें। जो योजनाएँ प्रासंगिक नहीं है उनका स्वरूप बदल दिया जायेगा। श्रमिकों के कौशल प्रमाणीकरण कार्य में गति लायी जाये।
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