नई दिल्ली, 26 जून | देश के श्रम बल में महिलाओं की भागीदारी गत एक दशक में 10 फीसदी घटकर निचले स्तर पर पहुंच गई। यह बात उद्योग संघ एसोचैम और थॉट आर्बिट्रेज रिसर्च द्वारा संयुक्त तौर पर कराए गए और रविवार को जारी हुए एक अध्ययन में कही गई। एसोचैम ने यहां जारी एक बयान में कहा, “महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए रोजगार और उद्यमिता अवसर बढ़ाने की जरूरत है, ताकि महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त हो सकें। देश में महिला श्रम बल भागीदारी (एफएलएफपी) दर गत एक दशक में 10 फीसदी घट गई है।”
ब्रिक्स देशों में एफएलएफपी दर इस दौरान चीन में 64 फीसदी, ब्राजील में 59 फीसदी, रूस में 57 फीसदी, दक्षिण अफ्रीका में 45 फीसदी और भारत में 27 फीसदी रही।
वर्ष 2011 में ग्रामीण क्षेत्रों में पुरुष और महिला श्रम बल भागीदारी का फासला जहां करीब 30 फीसदी रहा, वहीं शहरी क्षेत्रों में यह करीब 40 फीसदी रहा।
बयान में कहा गया है, “पुराने आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, सिक्किम और हिमाचल प्रदेश का प्रदर्शन इस मामले में बेहतर रहा।”
बयान में कहा गया है, “यूएन इकनॉमिक एंड सोशल कमीशन फॉर एशिया एंड द पैसेफिक के मुताबिक चूंकि एफएलएफपी दर में 10 फीसदी वृद्धि से ही सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 0.3 फीसदी वृद्धि हो सकती है, इसलिए यह आवश्यक है कि देश में महिलाओं का श्रम बल अनुपात बढ़ाने के लिए नीतियां और कार्यक्रम लागू किए जाएं।” —आईएएनएस
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