रायपुर, 06 जनवरी। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के रेडियो प्रसारण का अब छत्तीसगढ़ के शहरों से लेकर दूर-दराज गांवों तक लोग हर महीने बेसब्री से इन्तजार करने लगे हैं। ईब नदी से लेकर इन्द्रावती तक और शिवनाथ से लेकर महानदी तक, घरों के आंगन से चौपालों तक ‘रमन के गोठ’ की अनुगूंज सुनने के लिए बच्चों, युवाओं और बड़े बुजुर्गो में एक नया उत्साह देखा जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि डॉ. रमन सिंह देश के पहले मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘मन की बात’ से प्रेरणा लेकर आकाशवाणी के रायपुर केन्द्र से छत्तीसगढ़ की जनता को हर महीने सम्बोधित करने और प्रदेशवासियों के साथ अपने विचारों को साझा करने की शुरूआत कर दी है।
प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह दोनों के इन कार्यक्रमों से टेलीविजन के इस युग में रेडियो का महत्व एक बार फिर बढ़ गया है। यह कहना गलत नहीं होगा कि जनता के बीच रेडियो वापस आ गया है। आकाशवाणी के स्थानीय अधिकारियों के अनुसार ‘रमन के गोठ’ का प्रसारण शुरू होने के लगभग पांच महीने में प्रदेश में ट्रांजिस्टरों की बिक्री में भारी इजाफा हुआ है।
उल्लेखनीय है कि जनसम्पर्क विभाग के सहयोग से डॉ. रमन सिंह का यह कार्यक्रम छत्तीसगढ़ स्थित आकाशवाणी के सभी केन्द्रों से हर महीने के दूसरे रविवार को सवेरे 10.45 से 11 बजे तक प्रसारित किया जा रहा है। इस कार्यक्रम की पहली कड़ी का प्रसारण लगभग पांच महीने पहले 13 सितम्बर को हुआ था।
अब तक ‘रमन के गोठ’ की चार कड़ियों का प्रसारण हो चुका है। पांचवीं कड़ी 10 जनवरी को प्रसारित की जाएगी। अब तक प्रसारित सभी कड़ियों में मुख्यमंत्री ने खेत-खलिहानों से लेकर किसानों, ग्रामीणों और आम नागरिकों के जीवन से जुड़ी समस्याओं को, उनके सुख-दुःख से जुड़े विषयों को मानवीय संवेदनाओं के साथ छूने की सार्थक कोशिश की है। उनकी इस कोशिश को आकाशवाणी के लाखों श्रोताओं ने हाथों-हाथ लिया है।
कार्यक्रम को लेकर श्रोताओं से मिलने वाले पत्रों में इसका संकेत मिलता है। किसी ने इस कार्यक्रम को ‘दिल से निकली आवाज’ बताया है तो किसी ने इसे श्रोताओं के अन्तस को छू लेने वाला कार्यक्रम कहकर अपने विचार व्यक्त किए हैं।
मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ी और हिन्दी मिश्रित शैली में छत्तीसगढ़ के तीजा-पोला और राखी जैसे पारम्परिक तीज-त्यौहारों की जिस तरह से चर्चा की, सूखे की मार झेल रहे किसानों के दुःख-दर्द को महसूस करते हुए जिस तरह उनका हौसला बढ़ाया, रेडियो वार्ता में उनकी यह शैली लोगों के दिलों को छू गई। कई स्थानों पर रेडियो श्रोताओं ने अपने संघ के माध्यम से भी ‘रमन के गोठ’ को सुनने और सुनाने का सिलसिला शुरू कर दिया है।
धरसीवां जिला रायपुर के आकांक्षा रेडियो लिसनर्स क्लब के श्री छेदूलाल यादव और श्रीमती सीता यादव ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में अपनी भावनाएं कुछ इस तरह व्यक्त की हैं- ‘बहुत खुशी होती है, जब एक तरफ लोग मेरे घर में एकत्र होकर रेडियो सुनते हैं। एफ.एम. का जमाना आ गया, परन्तु ‘रमन के गोठ’ का प्रसारण प्रायः घर-घर रेडियो में सुना जाएगा’। ग्राम खपरी जिला दुर्ग निवासी घुरेलाल जोशी ने लिखा है- ‘रमन के गोठ’ की प्रस्तुति हृदय स्पर्शी है। जनसम्पर्क विभाग और आकाशवाणी को हार्दिक बधाई।
ग्राम चरडोंगरी, जिला कबीरधाम स्थित रेडियो श्रोताओं के संगठन ‘जय छत्तीसगढ़ रेडियो श्रोता संघ’ की ओर से दुर्गाराम साहू, श्रीमती कुमारी साहू और उनके साथियों ने इस कार्यक्रम को नागरिकों के लिए सार्थक और ज्ञानवर्धक बताते हुए प्रसारण अवधि 15 मिनट से बढ़ाकर 30 मिनट करने का सुझाव दिया है।
ग्राम देवरी जिला बलौदाबाजार-भाटापारा के अश्विनी वर्मा और सुरेश वर्मा ने ‘रमन के गोठ’ में दी जाने वाली जानकारी को बेहद उपयोगी बताते हुए सफल प्रस्तुति के लिए मुख्यमंत्री को बधाई दी है। ग्राम हरदीबाय (धवलपुर) जिला गरियाबंद निवासी योगेन्द्र कुमार यादव ने छत्तीसगढ़ी भाषा में अपनी प्रतिक्रिया इस प्रकार दी है- ‘रमन के गोठ’ ह हमर मन के अन्तस ल छू डारिस जी। ये कार्यक्रम ल सुनेबर घर के जम्मो सदस्य एके जगह रेडियो के तीर म बैईठके सुनेन अउ अवईया कार्यक्रम ल घलो ध्यान लगा के सुनबो।
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