देहरादून, 01 फरवरी। उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने संवासिनी यौन शोषण मामले में न्यायिक जांच के निर्देश दिए हैं। सोमवार को बीजापुर हाउस में मीडिया से अनौपचारिक बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि नारी निकेतन में वर्ष 2009 से ही संवासिनियों की मृत्यु के मामले होते रहे हैं। परंतु किसी ने भी नारी निकेतनों की दशा सुधारने की तरफ ध्यान नहीं दिया।
उन्होंने कहा कि संवासिनियों की मृत्यु दुखद है। हमने प्रदेश के सभी नारी निकेतनों व बाल आश्रमों की व्यवस्था सुधारने के लिए बहुत से अहम निर्णय लेकर उन पर काम भी किया है। हम नारी निकेतन में विक्षिप्त महिलाओं को सामान्य संवासिनियों से अलग रखने का प्रबंध कर रहे हैं। हमने उनके पौष्टिक भोजन के लिए दी जानी वाली राशि में बढ़ोतरी की है। इस क्षेत्र में विशेषज्ञता रखने वाले एक एनजीओ की सेवाएं भी लेने जा रहे हैं। संवासिनियों को विभिन्न कार्यों के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि संवासिनी मामले में पुलिस व मजिस्ट्रेट जांच करवाई जा चुकी है। राज्य महिला आयोग से कहा गया है कि यदि आवश्यक समझे तो अपनी एसआईटी बनाकर भी जांच करवाई जा सकती है। चाहें तो इसमें मीडिया व समाजसेवा से जुड़े कुछ लोगों के ग्रुप से भी जांच करवाई जा सकती है।
हरीश रावत ने बताया कि नैनीसार मामले की जांच के लिए कमीश्नर कुमायूं को निर्देशित किया गया है। कमीश्नर 15 दिनों में अपनी जांच रिपोर्ट सौंपेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि रोजगार बेहतर शिक्षा व स्वास्थ्य के अवसरों के अभाव में पर्वतीय क्षेत्रों में पलायन होता है। हमने पर्वतीय क्षेत्रों उत्कृष्ट स्तर की शैक्षणिक संस्थानों व अस्पतालों की स्थापना के लिए निजी निवेश हेतु भूमि देने के संबंध में नीति बनाई है। नैनीसार में भूमि का आवंटन उसी नीति के तहत किया गया है। इसमें 30 प्रतिशत प्रवेश स्थानीय नागरिकों व कर्मचारियों के लिए रखे गई हैं। इसमें घ श्रेणी में 90 प्रतिशत व ग श्रेणी में 50 प्रतिशत नौकरी स्थानीय लोगों को दी जाएंगी। एक बड़े शिक्षण संस्थान की स्थापना से स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलता है।
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