राजस्थान के राजभवन में बनाये गए ‘संविधान उद्यान’ का राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने मंगलवार 03-जनवरी-2023 को लोकार्पण किया।
राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा है कि संविधान उद्यान में भारतीय संविधान, इससे जुड़े उच्चादर्शों और हमारी प्राचीन संस्कृति को मूर्ति शिल्प, चित्र, संस्थापन तथा अन्य माध्यमों के जरिए साकार किया गया है ताकि संविधान से जुड़े आदर्शों की व्याख्या यहां आने वाले लोग साक्षात अनुभव कर सकें।
राज्यपाल कलराज मिश्र मंगलवार 03-जनवरी-2023 को राजभवन में मीडियाकर्मियों से संवाद कर रहे थे।
राज्यपाल ने कहा कि भारतीय संविधान विश्वभर के लोकतंत्रों की सर्वश्रेष्ठ व्याख्या है। यह नागरिकों में बंधुता, स्वाभिमान और राष्ट्र की एकता के साथ-साथ देश के आर्थिक और सामाजिक परिवर्तन का भी एक तरह से घोषणा पत्र है।
राज्यपाल ने कहा कि यह सभी के लिए गर्व की बात है कि राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु द्वारा संविधान उद्यान के लोकार्पण के बाद राजस्थान देश का पहला ऎसा राज्य बन गया है जहां राजभवन में इस तरह का संविधान उद्यान बनकर तैयार हुआ है।
उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार की स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत जयपुर विकास प्राधिकरण द्वारा इसे तैयार किया गया है। गत वर्ष 26 जनवरी को संविधान उद्यान का यहां राजभवन में शिलान्यास हुआ था और एक साल से भी कम अवधि में यह बनकर तैयार हो गया है।
मिश्र ने कहा कि राज्यपाल बनने के बाद उनकी पहली प्राथमिकता संविधान और उससे जुड़े उच्चादर्शों के प्रति जागरूकता के लिए कार्य करने की रही है।
इसी के अंतर्गत राज्य के सभी वित्त पोषित विश्वविद्यालयों में संविधान उद्यान निर्मित करने की पहल की गई और राजस्थान की विधानसभा में अभिभाषण से पूर्व संविधान की उद्देशिका का वाचन करवाने के साथ मूल कर्तव्यों को पढ़कर सुनाने की परम्परा का सूत्रपात किया।
इसी क्रम में राजभवन आने वाले सभी सामान्य और विशिष्टजन को संविधान से जुड़ी हमारी आदर्श संस्कृति से प्रत्यक्ष जोड़ने के उद्देश्य से संविधान उद्यान का निर्माण यहां किया गया है।
संविधान उद्यान के बारे में बताते हुए राज्यपाल मिश्र ने कहा कि संविधान उद्यान हमारे पवित्र संविधान के 22 भागों का ही कला-रूप नहीं है बल्कि यह संविधान से जुड़े आदर्शों और संस्कृति का भी प्रतिबिम्ब है।
उन्होंने कहा कि यहां भारतीय संविधान की मूल हस्तलिखित प्रति बेहद कलात्मक ही नहीं संस्कृति के आदर्श को प्रस्तुत करने वाली है।
प्रस्तावना को सुनहरे बॉर्डर में मोहन जोदड़ों की सभ्यता के प्रतीक घोड़ा, हाथी, शेर और बैल के चित्रों से सज्जित किया गया है।
उन्होंने कहा कि यहां महान कलाकार नंदलाल बोस और उनके शिष्यों के बनाये रेखांकनों को भी प्रस्तुत किया गया है, जिसमें शिष्यों के साथ यज्ञ करते वैदिक ऋषि का आश्रम, नटराज की मूर्ति, महाबलीपुरम मंदिर पर उकेरी कलाकृतियां, रेगिस्तान और गांधीजी की डांडी यात्रा, सुभाष बोस की आजाद हिन्द फौज, देवी-देवताओं, महात्मा बुद्ध आदि के रेखांकन प्रदर्शित किए गए हैं।
उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति की गहराई में जाने के लिए सभ्यता से जुड़े संविधान के इन कलात्मक पक्षों के बारे में भी हरेक नागरिक को जानकारी होनी जरूरी है।
राज्यपाल ने कहा कि यहां संविधान निर्माण से जुड़ी ऎतिहासिक तस्वीरों और तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को संविधान पुस्तक भेंट करते हुए डॉ. बी.आर. अम्बेडकर की प्रतिमा भी खास आकर्षण का केन्द्र है। साथ ही, संविधान सभा के सदस्यों के नाम उकेरे गए हैं और संविधान एवं लोकतंत्र से जुड़े लोकनायकों की छवियां और मूर्तियां भी यहां प्रदर्शित की गयी हैं।
उन्होंने कहा कि राजस्थान का राजभवन मोरों की बहुतायत के लिए विशेष पहचान रखता है। इस दृष्टि से संविधान उद्यान के साथ ही बना मयूर स्तम्भ राजभवन के सौंदर्य को और बढ़ाएगा।
उन्होंने कहा कि इसी तरह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की चरखा कातते हुए प्रतिमा और शौर्य, वीरता एवं स्वाभिमान के प्रतीक महाराणा प्रताप की अपने प्रिय घोड़े चेतक के साथ विश्राम करते हुए प्रतिमा भी यहां का विशेष आकर्षण हैं।
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