नई दिल्ली, 05 मार्च (जनसमा)। संसद और विधानमंडलों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि भारत में संसद में महिलाओं का प्रतिनिधित्व सिर्फ बारह प्रतिशत है जो चिन्ता का विषय है। उन्होंने महिलाओं को संसद में तेतीस प्रतिशत आरक्षण देने वाले संविधान संशोधन विधेयक को लोकसभा में पारित कराने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि संसद और विधानसभाओं में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए राजनीतिक दलों की प्रतिबद्धता आवश्यक है।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज राजधानी में ‘राष्ट्र के निर्माण में महिला कानून निर्माताओं की भूमिका’ (महिला जनप्रतिनिधि–सशक्त भारत की निर्माता) पर आयोजित पहले सम्मेलन का उद्घाटन किया।
इस मौके पर राष्ट्रपति ने कहा कि हमारा संविधान महिलाओं और पुरुषों को बराबरी का अधिकार देता है। इसमें यह भी सुनिश्चित किया गया है कि राज्य के तहत होने वाली नियुक्तियों और रोजगार के संबंध में किसी तरह का भेदभाव नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि महिलाओं के उत्थान और सशक्तीकरण को देखते हुए हमारे संविधान को 1993 में संशोधित किया गया। 73 वें संशोधन के जरिये संविधान में अनुच्छेद 243 ए से 243 ओ तक जोड़ा गया। इस संशोधन में इस बात की व्यवस्था की गई कि पंचायतों और नगरपालिकाओं में कुल सीटों की एक तिहाई सीटें महिलाओं के लिए सुरक्षित होंगी। इस संशोधन में इसकी भी व्यवस्था की गई कि पंचायतों और नगरपालिकाओं में कम से कम एक तिहाई चेयरपर्सन की सीटें महिलाओं के लिए सुरक्षित हों।
राष्ट्रपति ने कहा कि पंचायती राज संस्थानों द्वारा महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण को लागू करने में सकारात्मक कार्यवाही से महिलाओं के प्रतिनिधित्व में तेजी से वृद्धि हुई है। वास्तव में देखा जाए तो पंचायतों में चुनी गई महिलाओं का प्रतिनिधित्व 40 प्रतिशत हो गया है। कुछ राज्यों में पंचायतों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 50 प्रतिशत तक पहुंच गया है। भारतीय समाज के आगे सशक्तीकरण के लिए नगरपालिकाओं और पंचायतों में लगातार बढ़ रहे महिलाओं का प्रतिनिधित्व अच्छा है। उन्होंने सवाल उठाया कि बिना प्रतिनिधत्व के महिलाओं का सशक्तीकरण कैसे हो सकता है।
राष्ट्रपति मुखर्जी ने प्रधानमंत्री द्वारा ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ की पहल करने और महिलाओं का सच्चे रूप में सशक्तीकरण करने के उनके समर्पण की सराहना की। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने 8 मार्च, अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का थीम ‘2030 तक प्लानेट 50-50: स्टेप इट अप फोर जेंडर इक्वालिटी’ घोषित किया है। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च पर सभी राष्ट्रों के 2030 के एजेंडे को बढ़ावा देने के सामूहिक इच्छा की झलक मिलेगी। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को फिर से लिंग बराबरी और महिला सशक्तीकरण के लिए समर्पण दिखाना होगा।लिंग बारबरी के जरिये सतत विकास के संयुक्त राष्ट्र के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए ‘नेशनल कॉन्फ्रेंस ऑफ वुमन लेजिसलेटर्स’ सही दिशा में उठाया गया सही कदम है। उन्होंने कॉन्फ्रेंस की सफलता की कामना की।
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