नई दिल्ली, 14 मार्च (जनसमा)। सोमवार को लोकसभा ने सर्वसम्मति से 2016-17 का बजट पास कर दिया। इससे पूर्व बजट पर हुई चर्चा का उत्तर देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के उपाय किये गए हैं ताकि किसानों और ग्रामीण की खर्च करने की क्षमता बढ़ सके।
सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों के लिए कई ऐसी योजनाएं बनाई हैं जिससे गांवों में सड़क, बिजली और सिंचाई की सुविधाओं का विस्तार हो तथा किसानों को अधिक से अधिक लाभ मिल सके। इसलिए इस दिशा में तेज गति से काम किया जा रहा है। ग्रामीण सड़कों पर इस साल 27 हजारो करोड़ रुपया खर्च होगा।
किसी भी देश के आर्थिक विकास में सरकारी खर्चे का अहम रोल होता है। अगर हम दुनिया की तरफ देखें तो आर्थिक क्षेत्र में हम अच्छा कर रहे हैं किंतु अगर हम अपनी तरफ देखें तो हमें अभी और भी बहुत कुछ करना है।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने वैश्विक मंदी का जिक्र करते हुए कहा कि, ‘‘जिस प्रकार की चर्चा अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव के दौरान हो रही है उसका परिणाम क्या होगा और वह बहस को और नीति को किस दिशा में ले जाएगा, वह भी अपने आप में विश्व की आर्थिक परिस्थिति पर असर डालने वाला है।’’
वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘आईएमएफ ने अपने आंकड़ों में बताया है कि हर तिमाही के बाद वैश्विक अर्थव्यवस्था नीचे आ रही है। लेकिन भारत की जो विकास दर 7 से 7.50 फीसदी की रही है उसमें हमारे अपने कुछ कार्यक्षेत्र की ताकत के कारण रही है।’’
उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र में जो निवेश होता है वह आज भी कमजोर है और कमजोर इसलिए है कि उनको बैंकों से बहुत पैसा मिला था, आज उनमें से कई उसको लौटा नहीं पा रहे। इसके पीछे एक मूल कारण यह भी है कि जिन क्षेत्रों में उन्होंने काम करने के लिए पैसा लिया था उन क्षेत्रों में वैश्विक मंदी या घरेलू मंदी का असर रहा है।
जेटली ने कहा कि पिछले दो वर्ष लगभग 13 प्रतिशत बारिश कम हुई और इसलिए गांव में जो खरीदारी की क्षमता है, वह कमजोर पड़ गई। इसके अतिरिक्त विश्व की आर्थिक मंदी के कारण हम विश्व के बाजार में अपना सामान नहीं भेज पा रहे हैं। इस परिस्थिति में पिछले वर्ष हमने तय किया था कि जो सरकारी खर्चा (पब्लिक एक्सपेंडीचर) है उसको बढ़ाने से अर्थव्यवस्था ने कुछ तेजी पकड़ी।
उन्होंने कहा कि विदेशी निवेश (एफडीआई) आने से भी देश की अर्थव्यवस्था को लाभ हुआ है। निवेश नहीं होगा तो आर्थिक गतिविधि नहीं होगी, रोजगार नहीं होगा। शहरी क्षेत्रों में मांग बढ़ी और इसलिए शहरी क्षेत्रों से जुड़ी वस्तुओं का व्यवसाय बढ़ा है। इसके बढ़ने से एक अच्छे स्तर की अर्थव्यवस्था हम बढ़ा पाए हैं।
उन्होंने कहा कि जिन क्षेत्रों में कमजोरी दिख रही है उन क्षेत्रों में अधिक से अधिक निवेश की जरूरत है। वस्तुतः 2016-17 का बजट एक यथार्थवादी बजट है। ग्रामीण और कृषि क्षेत्र में कमजोरी है और उसमें अधिक से अधिक साधन डालने की जरूरत है। यह हमारी सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक जरूरत भी है।
उन्होंने बताया कि सिंचाई के लिए सरकार ने 20 हजार करोड़ रुपये का एक ‘स्पेशल फंड’ बनाया है ताकि गांवों में सिंचाई का अधिक से अधिक विस्तार हो सके।
अरुण जेटली ने बताया कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था के संदर्भ में सड़क, सिंचाई, मनरेगा, बीमा, स्वच्छता अभियान आदि ऐसे क्षेत्र हैं जो ग्रामीण क्षेत्र की आर्थिक स्थिति को मजबूत करेंगे।
वित्त मंत्री ने सड़कों के विकास पर जोर देते हुए कहा कि इस साल राष्ट्रीय राजमार्ग क्षेत्र के साथ-साथ ग्रामीण सड़कों के विकास को सरकारी साधनों द्वारा तेज गति दी गई है और इस क्षेत्र में 97 हजार रुपया खर्च होगा।
उन्होंने यह भी बताया कि देश के दूर-दराज के इलाकों में हवाई यातायात की सुविधा के विस्तार के लिए आठ से दस छोटे एयरपोर्ट बनाएं जाएंगे जिस पर 50 से 100 करोड़ रुपया खर्च होगा। उन्होंने कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अंग्रेजों ने भारत में 160 छोटी हवाई पट्टियां बनाई थीं और कुछ हवाई अड्डे ऐसे हैं जिन पर कोई हवाज नहीं उतरता है। सरकार इनके विकास के लिए योजना बना रही है। इसी तरह बंदरगाहों के विकास के लिए भी काम किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि बैंकों की सबसे अधिक बकाया राशि स्टील उद्योग की है जिसे ‘नाॅन परफाॅर्मिंग एकाउंट’ कहा जाता है। इनमें से किसी को भी ऋण माफी नहीं दी गई है। स्टील उद्योग की हालत पिछले कुछ सालों में इसलिए बिगड़ी क्योंकि चीन ने अपने सरप्लस स्टील को दुनिया के बाजार में आधे-अधूरे सस्ते दामों में बेचना शुरू कर दिया। इसका असर हमारे देश की स्टील कम्पनियों पर पड़ा और स्टील उद्योग की हालत खराब हो गई।
वित्त मंत्री ने बताया कि हमने इस तरह के उपाय किए हैं जिससे स्टील और चीनी उद्योग में नई जान आई है वह अपने पैरों पर खड़े हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि बिजली के क्षेत्र में भी लक्ष्य के अनुरूप काम किया जा रहा है।
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