नई दिल्ली, 13 दिसंबर। ब्रह्मसूत्र और गीता के भाष्यकार, प्रसिद्ध संस्कृत विद्वान और कन्नड़ कवि बन्नंजय गोविंदाचार्य (Dr. Bannanje Govindacharya) का 84 वर्ष की आयु में रविवार को दक्षिणी के राज्य कर्नाटक के उडुपी (Udupi) में निधन हो गया।
विद्यावाचस्पति बन्नंजय गोविंदाचार्य के निधन पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शोक व्यक्त किया है।
एक ट्वीट संदेश में प्रधानमंत्री ने कहा, “विद्यावाचस्पति बन्नंजय गोविंदाचार्य जी को साहित्य में उनके महान योगदान के लिए हमेशा याद किया जाएगा। संस्कृत और कन्नड़ भाषा के प्रति उनका गहरा लगाव सराहनीय था। उनकी रचनाएँ आने वाली पीढ़ियों को प्रभावित करती रहेंगी। उनके निधन से दु:खी हूं। उनके परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं। ओम शांति।”
बन्नंजय गोविंदाचार्य का जन्म 3 अगस्त, 1936 को हुआ था।
बन्नंजय गोविंदाचार्य (Bannanje Govindacharya) वेद भाष्य, उपनिषद भाष्य, महाकाव्य महाभारत, रामायण और पुराणों में पारंगत थे।
बन्नंजय गोविंदाचार्य ने लगभग 150 पुस्तकों का लेखन किया और उनके नाम पर संस्कृत के लगभग 4,000 पृष्ठ “विख्यायन” (भाष्य) हैं।
अपने लंबे करियर के दौरान, बन्नंजय गोविंदाचार्य ने वेद सूक्तों, शत रुद्रियों, ब्रह्मसूत्र भाष्य और गीता पर भाष्य लिखे।
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