नई दिल्ली, 17 मई | सऊदी अरब की यात्रा के डेढ़ महीने बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 22-23 मई को ईरान का दौरा करेंगे। एक बयान में विदेश मंत्रालय ने कहा, “इस्लामी गणराज्य ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी के आमंत्रण पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 22-23 मई, 2016 को ईरान का अधिकारिक दौरा करेंगे।”
बयान में कहा गया कि दौरे के दौरान प्रधानमंत्री ईरान के शीर्ष नेता अली खामनेई से मुलाकात करेंगे और परस्पर हित के विस्तृत विषयों पर राष्ट्रपति रूहानी के साथ वार्ता करेंगे।
इस साल के शुरू में सऊदी अरब में शिया मौलवी को फांसी दिए जाने के बाद सऊदी अरब और ईरान के रिश्तों में तनाव बढ़ गया है। इसलिए मोदी का दौरा अर्थपूर्ण माना जा रहा है।
इस साल जनवरी में शिया मौलवी और सऊदी नागरिक निम्र-अल-निम्र को फांसी देने के बाद मध्य पूर्व में स्थिति विस्फोटक हो गई थी। ईरान में सऊदी मिशनों पर हमले हुए और इसके बाद सऊदी अरब ने ईरान से अपना राजनयिक संबंध तोड़ लिया।
सऊदी अरब, भारत को सबसे बड़ा तेल आपूर्ति करने वाला देश है, जबकि ईरान रणनीतिक साझेदार है।
विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया, “भारत और ईरान दीर्घकालीन सभ्यतामूलक संबंधों के साझीदार हैं।”
बयान में कहा गया कि ईरान, भारत के विस्तारित पड़ोस में है। दोनों देशों के आर्थिक और सुरक्षा क्षेत्र में अर्थपूर्ण संबंध हैं।
मंत्रालय ने कहा, “इस समानता के आधार पर प्रधानमंत्री का ईरान दौरा क्षेत्रीय संपर्क (कनेक्टिविटी) और आधारभूत संरचना, ऊर्जा भागीदारी विकसित करने, द्विपक्षीय व्यापार बढ़ाने, विभिन्न क्षेत्रों में लोगों के बीच परस्पर मेलजोल आसान करने और क्षेत्रीय स्थिरता जैसे क्षेत्रों में विशिष्ठ सहयोग पर ध्यान केंद्रित करने की इच्छा जाहिर करेगा।”
बयान में कहा गया, “प्रधानमंत्री के दौरे से दोनों देशों के बीच हो रहे प्रयासों को सामयिक प्रेरणा मिलेगी। दोनों देशों की व्यापारिक इकाईयां द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाएंगी और इस साल के शुरू में ईरान पर से प्रतिबंध हटाए जाने के बाद उत्पन्न नए अवसरों का परस्पर लाभ उठाएंगी।”
प्रधनमंत्री के दौरे से पहले विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इस साल अप्रैल में ईरान का दौरा किया था। स्वराज के दौरे के दौरान तेहरान ने कहा था कि रिफाइनरी के क्षेत्र में भारत का साझीदार बनने पर उसे खुशी होगी। नई दिल्ली ने कहा था कि अफगानिस्तान के साथ व्यापार बढ़ाने के लिए वह खाड़ी देश के चाबहार बंदरगाह में निवेश करने के लिए समझौते पर दस्तखत करेगा।
ईरान पर परमाणु कार्यक्रम की वजह से लगे संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध के हटने के मद्देनजर भी प्रधानमंत्री का ईरान दौरा महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
विदेश मंत्रालय के बयान के अनुसार सुषमा के दौरे बाद जब समझौता मूर्त रूप लेगा तो यह चाबहार बंदरगाह के सार्थक उपयोग को बढ़ाएगा। अफगानिस्तान के आर्थिक विकास में मदद मिलेगी और भारत और अफगानिस्तान एवं मध्य एशिया के बीच संपर्क समेत क्षेत्रीय संपर्क भी सुगम हो जाएंगे।
मोदी का दौरा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि ईरान के शीर्ष नेता अली खामनेई उनसे मुलाकात करेंगे।
ईरान के दौरे पर आने वाले विश्व के नेताओं से खामनेई कम ही मिलते हैं। –आईएएनएस
(फाइल फोटो)
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