लखनऊ, 2 सितम्बर । भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के महासचिव व सांसद वरुण गांधी ने कहा कि सत्ता परिवर्तन से ज्यादा व्यवस्था परिवर्तन की जरूरत है। वरुण ने कहा कि पूंजीपति बैंकों का पैसा हड़प रहे हैं और गरीब लोन लेकर सुसाइड कर रहे हैं। भाजपा सांसद ने कहा कि वह गांधी परिवार से न होते तो भाषण देने के बजाय भाषण सुनने वालो में होते।
मीडिया नेस्ट और सिटीजन फोरम इंडिया की ओर से हुए कॉन्कलेव में शामिल होने आए वरुण गांधी ने कहा कि निश्चित रूप से सत्ता परिवर्तन एक लक्ष्य है लेकिन ज्यादा महत्वपूर्ण व्यवस्था परिवर्तन है। हम ऐसे देश में रहते हैं जहां दो चेहरे दिखते हैं। एक चेहरा केरल के किसान टी जोसेफ का है जो कर्ज न चुका पाने की वजह से जेल गया, वहीं दूसरा चेहरा भगौड़े विजय माल्या का है जो कर्ज लेकर भाग गया। इसके लिए व्यवस्था ही जिम्मेदार है। वरूण गांधी ने कहा कि माल्या के भागने से परेशान किसान मनमोहन भी हुआ, जिसके बैंक खाते में मात्र 1200 रुपए थे और उसे माल्या का गारंटर दिखाया गया। मुझे लगता भी नहीं कि माल्या कभी देश वापस भी आएगा।
फोटो साभार: फेसबुक पेज/वरुण गांधी
सांसद वरुण ने कहा कि देश की राजनीति और नेताओं से जुड़ी से कई बातों पर शर्म आती है। बहुत बुरा लगता है जब जनता के प्रतिनिधि वेतन बढ़ाने की मांग करते हैं। उन्होंने कहा कि जब मैंने संसद में देखा कि कई एमपी सदन में खड़े होकर अपनी सैलरी बढ़ाने की पैरवी कर रहे हैं, तब तत्कालीन स्पीकर मीरा कुमार को पत्र लिख कर मैंने कहा कि अगर सैलरी बढ़ाई जाती है तो मुझे यह स्वीकार नहीं, मेरी न बढ़ाई जाए।
उन्होंने कहा कि राजनीति सुधर सकती है जब जार्डन और सिंगापुर की तरह युवाओं को राजनीति में आमंत्रित किया जाए। उन्होंने कहा कि राजनीति में सफल 82 प्रतिशत नौजवान राजनीतिक परिवारों से हैं। मैं फिरोज वरुण गांधी हूं इसलिए इस स्तर पर हूं। उन्होंने कहा कि हमें प्रधान स्तर से ही ऐसे नौजवानों के लिए जगह आरक्षित कर देनी चाहिए जो किसी राजनीतिक परिवार से न हों।
उन्होंने कहा कि सिंगापुर में ग्रुप रिप्रेजेंटेशन सिस्टम लागू है। इसके तहत किसी व्यक्ति विशेष के बजाय किसी ग्रुप (व्यक्तियों का समूह) को चुनाव में उतारा जाता है जो किसी मुद्दे को लेकर एक साथ होते हैं। इस तरह की व्यवस्था में भारत में लागू की जा सकती है या फिर एक वर्ग विशेष जैसे की किसान और बुनकर आदि का प्रतिनिधित्व करने के लिए किसी व्यक्ति को राज्यसभा में मौका देना चाहिए।
वरुण ने वल्र्ड बैंक की रिपोर्ट के हवाले से कहा कि शहरों में गरीबी के कारण 20 प्रतिशत लोग इलाज तक नहीं करा पाते। शिक्षा का क्षेत्र बदहाल है। वरुण ने कहा कि राइट टु एजुकेशन के तहत एक लाख करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। लेकिन भवन बना देने से बच्चे शिक्षित नहीं हो जाते। 5वीं कक्षा के लगभग आधे बच्चे कक्षा 1 की किताब नहीं पढ़ सकते। क्योंकि पढ़ाने के लिए शिक्षक ही नहीं हैं। 6 लाख शिक्षक कम हैं।(आईएएनएस/आईपीएन)
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