नई दिल्ली, 08 मार्च (जनसमा)। केन्द्र सरकार ने प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में कुपोषण शामिल किया है। आर्थिक सर्वेक्षण के क्रम में महिलाओं और बच्चों के लिए पूरक पोषण सेवाएं देने के वास्ते महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की क्षमता को बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं।
आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया था कि ज्यादा से ज्यादा लोगों तक फायदा पहुंचाने के वास्ते आर्थिक सामाजिक निवेश का सबसे अच्छा तरीका मातृत्व और बाल पोषण में निवेश करना है।
यह तस्वीर भी कुछ कहती है : पत्थर ढोती महिलाएं
सरकार ने लैंगिक बजट को दो भागों में बांटा है। भाग क में विभिन्न मंत्रालयों द्वारा चलाए जाने वाले महिलाओं पर पूरी तरह से केंद्रित हैं, आते हैं। भाग ख में विभिन्न मंत्रालयों के वे कार्यक्रम आते हैं जिनमें विशेष रूप से महिलाओं को आवंटन किया जाता है या जिनसे महिलाओं को ही लाभ होता है।
आवंटन में सबसे ज्यादा बढ़ोत्तरी वाले क्षेत्रों में महिलाओं को समर्पित इंदिरा आवास योजना, किसान कल्याण, उच्च शिक्षा, मनरेगा आदि योजनाओं के भाग शामिल रहे।
महिलाओं के लिए आश्रय स्थल की स्थापना के लिए 2016-17 में आवंटन बढ़ाकर 100 करोड़ रुपये कर दिया गया, जबकि 2015-16 में 52 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था। इससे मंत्रालय विशेष रूप से विधवाओं को अतिरिक्त सुविधाएं देने में सक्षम होगा।
– जनसमा ब्यूरो
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