हिमस्खलन

समुद्रतल से 5600 मीटर ऊपर ग्लेशियर के मुहाने पर हिमस्खलन हुआ

उत्तराखंड हिमस्खलन : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह  ने संसद में कहा कि  उपग्रह डेटा (Planet Lab) के अनुसार ऋषिगंगा नदी के जलग्रहण क्षेत्र में समुद्रतल से लगभग 5600 मीटर ऊपर स्थित ग्लेशियर के मुहाने पर हिमस्खलन हुआ, जो कि लगभग 14 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र का था, जिसके कारण ऋषिगंगा नदी के निचले क्षेत्र में फ्लैश फ़्लड की स्थिति बन गई।

शाह उत्तराखंड के चमोली जिले में हिमस्खलन की घटना पर आज 9 फरवरी, 2021 को संसद में वक्तव्य दे रहे थे।

शाह ने मंगलवार को यह भी बताया कि उत्तराखंड में हिमस्खलन औा बाढ़ के कारण 197 लोग लापता हैं जबकि 20 लोग मारे गए हैं।

उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के चमोली जिले में 7 फरवरी, 2021 को सुबह लगभग 10 बजे, अलकनंदा की एक सहायक नदी, ऋषिगंगा नदी के ऊपरी जलग्रहण क्षेत्र में एक हिमस्खलन की घटना घटी, जिसके कारण ऋषिगंगा नदी के जलस्तर में अचानक काफी वृद्धि हो गई।

वक्तव्य का ब्यौरा:

ऋषिगंगा नदी के जलस्तर में वृद्धि के कारण आई बाढ़ से 13.2 मेगावाट की कार्यरत छोटी जलविद्युत परियोजना बह गई ।

हिमस्खलन  के कारण  अचानक आई बाढ़ ने निचले क्षेत्र में तपोवन में धौलीगंगा नदी पर स्थित एनटीपीसी की निर्माणाधीन 520 मेगावाट की जलविद्युत परियोजना को भी नुकसान पहुंचाया है।

उत्तराखंड सरकार ने यह बताया है कि बाढ़ से निचले क्षेत्र में कोई खतरा नहीं है और साथ ही साथ जल स्तर में भी कमी आ रही है । केंद्र और राज्य की सभी संबंधित एजेंसियां स्थिति पर कड़ी निगाह रखे हुए हैं।

आरंभिक क्षति संबंधी सूचना:
उत्तराखंड सरकार से प्राप्त सूचना के अनुसार अभी तक 20 लोगों की जानें जा चुकी हैं और 6 लोग घायल है। प्राप्त जानकारी के अनुसार 197 व्यक्ति लापता हैं जिसमें एनटीपीसी की निर्माणाधीन परियोजना के 139 व्यक्ति, ऋषिगंगा कार्यरत परियोजना के 46 व्यक्ति और 12 ग्रामीण शामिल हैं।

राज्य सरकार ने यह सूचना[1] विभिन्न स्रोतों के माध्यम से इकठ्ठा की है, जिसमे परिवर्तन संभव है। ([1] यह सूचना 08.02.2021 की 1700 बजे तक की है।)

एनटीपीसी परियोजना के 12 व्यक्तियों को एक टनल के अंदर से सुरक्षित बचा लिया गया है। ऋषि गंगा परियोजना के भी 15 व्यक्तियों को सुरक्षित बचा लिया गया है।

एनटीपीसी परियोजना की एक दूसरी टनल में लगभग 25 से 35 लोगों के फंसे होने का अनुमान लगाया जा रहा है । इस टनल में फंसे लोगों को सुरक्षित निकालने हेतु बचाव अभियान युद्ध स्तर पर जारी है साथ ही साथ लापता व्यक्तियों को ढूँढने का कार्य भी बड़े पैमाने पर किया जा रहा है।

राज्य सरकार ने जान गंवाने वालों के परिजनों के लिए  4 लाख रुपए की सहायता की घोषणा की है।

घटनास्थल के नजदीक 13 छोटे गाँवों से, एक पुल बह जाने कारण, संपर्क कट गया है । इन गावों के लिए रसद और जरूरी मेडिकल सामान हेलीकोप्टर द्वारा लगातार पहुंचाया जा रहा है ।

केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए कदम:

केंद्र सरकार द्वारा स्थिति की 24*7 उच्चतम स्तर पर निगरानी की जा रही है। माननीय प्रधान मंत्री जी स्वयं स्थिति पर गहरी निगाह रखे हुए हैं।

गृह मंत्रालय के दोनों कंट्रोल रूम द्वारा स्थिति पर चौबीसों घंटे नजर रखी जा रही है और राज्य को हर संभव सहायता मुहैया कराई जा रही है ।

विद्युत् मंत्रालय के माननीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) ने घटनास्थल का दौरा किया और चल रहे राहत एवं बचाव कार्य का जायजा लिया।

आइटीबीपी ने अपना कंट्रोल रूम स्थापित किया है और उनके 450 जवान, सभी जरूरी साजो सामान के साथ, घटनास्थल पर राहत और बचाव अभियान में लगे हुए हैं।

एनडीआरएफ़ की 5 टीम घटनास्थल पर पहुँच चुकी हैं और  राहत और बचाव अभियान में लगे हुए हैं।

आर्मी की आठ टीमें, जिसमें एक ईटीएफ(Engineering Task Force) भी शामिल है, घटनास्थल पर वचाव  कार्य कर रही है। एक मेडिकल कॉलम और दो एंबुलेंस भी घटनास्थल पर तैनात है। नेवी की एक गोताखोर टीम भी घटनास्थल पर वचाव  कार्य  के लिए पहुँच चुकी है।

एयरफोर्स के 5 हेलीकॉप्टरों को भी इस कार्य में लगाया गया है । जोशीमठ में एक कंट्रोल रूम स्थापित किया गया है।
घटनास्थल पर विपरीत परिस्थिति में भी घटना के बाद से ही लगातार राहत और बचाव कार्य जारी है।

टनल में फंसे लोगों को बाहर निकालने के लिए रात भर के अथक प्रयास के बाद आर्मी द्वारा टनल के मुंह पर पड़े मलबे को साफ कर लिया गया है।

केंद्रीय जल आयोग के जो कर्मचारी अलकनंदा और गंगा बेसिन हरिद्वार तक में कार्यरत हैं को अलर्ट पर रखा गया है।
सशस्त्र सीमा बल (SSB) की एक टीम भी घटनास्थल पर पहुँच चुकी है।

डीआरडीओ की एक टीम, जो हिमस्खलन की निगरानी करती है, घटनास्थल पर पहुँच चुकी है।
एनटीपीसी के सीएमडी  भी घटनास्थल पर पहुँच चुके हैं।

नेशनल क्राइसिस मैनेजमेंट कमेटी (एनसीएमसी) की मीटिंग:
नेशनल क्राइसिस मैनेजमेंट कमेटी (एनसीएमसी) की मीटिंग दिनांक 7 फरवरी, 2021 को 16:30 बजे कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में हुई जिसमें सभी संबंधित एजेंसियों को समन्वय के साथ कार्य करने और राज्य प्रशासन को सभी जरूरी सहायता उपलब्ध कराने का निर्देश दिया।

राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदम:
केन्द्रीय एजेंसियों के साथ जिला प्रशासन, पुलिस और राज्य आपदा प्रबंधन विभाग भी राहत और बचाव कार्य में जुटे हुए हैं। एसडीआरएफ की दो टीमें भी राहत और बचाव में कार्यरत हैं ।

राज्य स्वास्थ्य विभाग की 7 टीमें, 8 एंबुलेंस मुख्य स्वास्थ अधिकारी के साथ तैनात हैं । इसके अतिरिक्त राज्य सरकार ने 5 हेलिकॉप्टरों को भी बचाव और राहत कार्यों के लिए तैनात किया हुआ है ।

घटना के बाद सभी जगह बिजली की बहाली लगभग कर दी गई है । BRO और राज्य PWD द्वारा 5 पूर्ण रूप से टूटे हुए पुलों की मरम्मत की जा रही है।

SDRMF की स्थिति:
मैं यहाँ यह भी बताना चाहूँगा कि वित्त वर्ष 2020-21 में राज्य आपदा जोखिम प्रबंधन कोष (SDRMF) में 1041.00  करोड रुपए आवंटित किए गए हैं, जिसमें केंद्रीय अंश की प्रथम किस्त 468.50 करोड रुपए की राशि राज्य सरकार को जारी की जा चुकी है।

मैं सदन को केंद्र सरकार की ओर से यह आश्वस्त करना चाहता हूँ कि राहत और बचाव कार्यों के लिए सभी संभव उपाय राज्य सरकार के साथ समन्वय से किए जा रहे हैं और जो भी आवश्यक कदम उठाना जरूरी है वह सभी कदम उठाए जा रहे हैं।