लंदन, 6 मई | समुद्र में एक विशाल उल्कापिंड और धूमकेतु के बीच टक्कर से एक ऐसा ढांचा बना, जिसने कुछ वैसी परिस्थितियों का निर्माण किया, जिसके कारण पृथ्वी पर जीवन संभव हो सका। आयरलैंड में डब्लिन स्थित ट्रिनिटी कॉलेज में भू-रसायन विशेषज्ञों के एक दल ने यह खुलासा किया है। शोध दल का कहना है कि गर्म चट्टानों पर पानी गिरने पर दोनों के बीच रासायनिक क्रिया हुई, जिसके कारण एक जटिल कार्बनिक अणु का निर्माण हुआ और चारों तरफ से बंद क्रेटर खुद एक माइक्रोहैबिटेट बन गया, जिसमें जीवन संभव हो पाया।
काफी समय से यह बात कही जी रही थी कि उल्कापिंड और धूमकेतु के तत्व जो पहले पृथ्वी पर गिरे उनसे जटिल कार्बनिक अणुओं, पानी तथा ऊर्जा का निर्माण हुआ।
अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार समुद्र में बने गढ्ढों में उपयुक्त वातावरण उपलब्ध है, जिसमें जीवन पनप सकता है।
इस खोज के लिए शोधकर्ताओं ने घाटी के तत्वों को लेकर उसके रासायनिक (केमिस्ट्री) और कार्बन समस्थानिक का अध्ययन किया।
–आईएएनएस
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