किसानों

सरकार और किसानों के बीच बात नहीं बनी, अब 8 तारीख को फिर होगी बात

नई दिल्ली, 4 जनवरी। सरकार और किसानों के बीच 7वें दौर की बातचीत नहीं बनी।  अब 8 तारीख को फिर बात होगी।

किसान इस बात पर अड़े हैं कि तीनों कृषि कानून वापस किए जाएं जबकि सरकार या नहीं चाहती है कि वह तीनों कृषि कानूनों को वापस ले।

ग्रामीण अर्थशास्त्र के कतिपय जानकारों का बैठक शुरू होने से पहले ही मानना था कि जिस तरह की मांग किसान कर रहे हैं और सरकार पहले दिन से जिन तर्कों पर बात कर रही है उससे आज समझौते की कोई राह निकलना आसान नहीं है।

 

दिल्ली की सीमाओं पर 40 वें दिन भी किसानों का आन्दोलन जारी है। अब आंदोलनकारी किसानों को इस कड़ाके की ठंड और खतरनाक मौसम में खुले आसमान के नीचे कुछ वक्त तो बिताना ही होगा।

किसान नेताओं की विज्ञान भवन में कृषि मंत्री के साथ आज की बैठक 2ः30 बजे शुरू हुई और 3ः35 बजे लंच ब्रेक हो गया जो डेढ़ घंटे चला । फिर 5: 40 पर बैठक शुरू हुई और कुछ देर में खत्म हो गई।  लगता है कि सरकार और किसान समस्या के समाधान के लिए बीच का रास्ता निकालने में अभी तक सफल नहीं हो पाये हैं।

किसानों का कहना है कि वे कृषि कानूनों को वापस नहीं लिए जाने तक आन्दोलन करते रहेंगे और इससे सरकार को ही नुकसान होगा। किसान आंन्दोलन तब तक जारी रहेगा जब तक तीनो बिल वापस नहीं लिये जाते।

बातचीत के बाद कृषि मंत्री ने पत्रकारों को कहा कि तीनों कानूनों पर बातचीत हुई है और 8 तारीख को फिर बात होगी।

पचास साल से पत्रकारिता कर रहे एक पत्रकार ने ‘जनसमाचार’ से कहा ‘जब किसी सरकार के पास क्रूर बहुमत हो तब जनआन्दोलन का दबाव सहने की क्षमता सरकार में उस तरह होती है जैसी एकतंत्रात्मक शासन में होती है।

भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में कांग्रेस ने भी अपने क्रूर बहुमत के दम पर अनेक आन्दोलनों को बेरहमी से कुचला था, किन्तु मोदी सरकार किसानों से निरंतर बात करके रास्ता निकालने की कोशिश कर रही है।

उन्होंने कहा ‘‘यहाँ सरकार किसानों को समझाने में इसलिए सफल नहीं हुई है क्योंकि कानूनों की व्यापक विवेचना हुई ही नहीं है।’’