नई दिल्ली, 20 जुलाई | सरकार ने बुधवार को कहा कि वह अगस्त के प्रथम सप्ताह में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक के संसद में पारित होने को लेकर आशावान है। इस मुद्दे पर सभी राजनीतिक दलों का समर्थन प्राप्त करने के प्रयास जारी हैं। एसोसिएटेड चेंबर्स आफ कामर्स एंड इंडस्ट्री (एसोचेम) के तत्वावधान में ‘सबको आवास के लिए वित्त’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन के इतर केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा, “मानसून सत्र के तीसरे सप्ताह में जीएसटी विधेयक के पारित होने को लेकर हम आशावान हैं। हम सभी दलों का समर्थन हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं।”
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश, बंगाल, ओडिशा, बिहार और अन्य राज्यों की सरकारें जीएसटी के पक्ष में हैं। यह कांग्रेस है जो अब विधेयक के विरोध में है।
मूल रूप से जीएसटी विधेयक पेश करने वाली कांग्रेस ने कहा है कि संविधान संशोधन विधेयक में 18 प्रतिशत जीएसटी दर की उच्चतम सीमा निर्धारण के साथ वह अब भी विधेयक के पक्ष में है।
हालांकि, सरकार मुख्य विधेयक में एक सीमा निर्धारण को इच्छुक है, लेकिन संविधान संशोधन विधेयक में नहीं।
प्रस्तावित जीएसटी परिषद के अलावा विनिर्माण क्षेत्र को संतुष्ट करने के लिए एक प्रतिशत अतिरिक्त कर हटाने और विवाद निपटारा तंत्र के लिए कांग्रेस के साथ सामंजस्य बनाने के प्रयास हो रहे हैं। कर दर से विनिर्माण क्षेत्र को राजस्व कम होने का डर सता रहा है।
एसोचेम के कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू भी उपस्थित थे। उन्होंने कहा, “सरकार लगातार न केवल कांग्रेस, बल्कि संभवत: सभी पार्टियों से बातचीत कर रही है। अंतत: हम सभी की सहमति से जीएसटी विधेयक पारित कराना चाहते हैं। जीएसटी के सबसे बड़े लाभार्थी राज्य होंगे।”
नायडू ने कहा, “चारों तरफ से जो संकेत मुझको मिल रहे हैं, तदनुरूप मैं आशा करता हूं कि कि जीएसटी विधेयक इस सत्र में पारित हो जाएगा।”
केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल के बाद संसद का यह पहला सत्र है और मोदी के नए संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार की असली परीक्षा राज्यसभा में होगी जहां जीएसटी समेत 40 विधेयक लंबित पड़े हैं।
गत जून महीने में हुए राज्यसभा के द्विवार्षिक चुनावों के बाद उच्च सदन में भाजपानीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की संख्या 5 अतिरिक्त सीटों के साथ बढ़कर 74 हो गई है जबकि तीन सीटों के नुकसान के साथ कांग्रेस की संख्या घटकर 60 पर पहुंच गई है।
जीएसटी संविधन संशोधन विधेयक पारित कराने के लिए सरकार को दो तिहाई बहुमत की जरूरत है।
245 सदस्यीय राज्यसभा में 163 सदस्यों के (दो तिहाई) मत पाने के लिए सरकार को सभी क्षेत्रीय पार्टियों समाजवादी पार्टी (सपा), तृणमूल कांग्रेस, जद-यू और अन्य का समर्थन चाहिए।
उच्च सदन में क्षेत्रीय पार्टियों में सपा के19, एआईएडीएमके के 13, तृणमूल कांग्रेस के 12 और बीजू जनता दल के 8 सदस्य हैं।
इसके अलावा नीतीश के जनता दल-यू के 10, लालू प्रसाद के राष्ट्रीय जनता दल के 3, बहुजन समाज पार्टी के 6, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के 8, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के 1 और डीएमके के पास 4 सदस्य हैं।
–आईएएनएस
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