नई दिल्ली, 18 मई (जनसमा)। पर्यावरण, वन तथा जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रकाश जावड़ेकर ने कहा है कि सरकार ने प्रदूषण को गंभीरता से लिया है। उन्होंने प्रदूषण कम करने के सरकार के संकल्प को व्यक्त किया। प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों तथा प्रदूषण नियंत्रण समितियों के अध्यक्ष और सदस्य सचिवों के दो दिन के सम्मेलन को संबोधित करते हुए जावड़ेकर ने प्रदूषण से संबंधित पहलुओं पर विचार के लिए नए प्रदूषण अऩुसंधान संस्थान की स्थापना का प्रस्ताव किया। उन्होंने कहा कि संस्थान स्थापना की बात धारणा स्तर पर है। उन्होंने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों की व्यापक भागेदारी का आह्वान करते हुए सुझाव दिया कि ऐसे सम्मेलन केन्द्र और क्षेत्रीय दोनों स्तरों पर प्रत्येक छह महीनों में आयोजित किए जाने चाहिए।
पर्यावरण मंत्री ने कहा कि मंत्रालय का बल अनुपालन व्यवस्था स्थापित करने पर होगा और यह संदेश देने पर होगा कि उल्लंघन महंगा पड़ेगा। जावड़ेकर ने कहा कि सरकार दायित्वपूर्ण कारोबार करने में सहजता उपलब्ध कराना चाहती है लेकिन प्रदूषण संबंधी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।
पर्यावरण मंत्री ने कहा कि विनाश के बगैर विकास की अवधारणा, सतत विकास, वायु प्रदूषण, औद्योगिक प्रदूषण, रेत खनन, नदियों के प्रदूषण और कचरा प्रबंधन पर विचार किया जाना चाहिए क्योंकि इससे समाज में जागरुकता बढ़ेगी। उन्होंने प्रदूषण से निपटने में अधिक उत्तरदायी होने की आवश्कता पर बल दिया। मंत्रालय का मिशन प्रकृति के पांच तत्वों के बीच संतुलन बनाए रखना और उनका संरक्षण है। उन्होंने बताया कि पहली बार मंत्रालय ने सीवेज ट्रीटमेंट के लिए निर्देशों का पालन नहीं करने के मामले में उत्तर प्रदेश की पांच नगरपालिकाओं के विरुद्ध राष्ट्रीय हरित ट्राइब्यूलन (एनजीटी) में मामला दर्ज कराया है।
इस अवसर पर केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, (सीपीसीबी) के अध्यक्ष ए.के. मेहता ने कहा कि वनों तथा सदाबहार पौधों का क्षेत्र बढ़ा है। उन्होंने बताया कि प्रदूषणकारी औद्योगिक इकाइयों की ऑनलाइन निगरानी तथा व्यापक पर्यावरण प्रदूषण सूचकांक (सीईपीआई) में संशोधन किया गया है और उद्योगों का नया वर्गीकरण किया गया है।
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