लंदन, 6 जून | मोटापा से ग्रस्त मरीज जो वजन कम करने के लिए सर्जरी कराते हैं, उनकी मोटापे की वजह से मरने की आशंका सर्जरी नहीं कराने वालों की तुलना में कम रही है। यह बात एक अध्ययन में सामने आई है। अध्ययन रिपोर्ट में कहा गया है कि मोटापे की वजह से दिल का दौरा पड़ने, मस्तिष्काघात और कई तरह के कैंसर जैसी बीमारियों से मौत का खतरा रहता है।
शोधकर्ताओं ने कहा कि वजन कम करने वाली सर्जरी के परिणाम से पता चलता है कि वह मोटापा से जुड़ी मौत के साथ-साथ अस्वस्थता को भी रोक देता है।
अध्ययन के निष्कर्ष से पता चलता है कि जिन समूह की मोटापे की सर्जरी नहीं कराई गई उनमें मरने वाले मरीजों का प्रतिशत 4.21 था, जबकि जिस समूह का मोटापा कम करने का ऑपरेशन किया गया उनमें मरने वालों का प्रतिशत 1.11 था।
जिनका ऑपरेशन किया गया उस समूह पर 5.4 साल तक नजर रखी गई जबकि जिनकी सर्जरी नहीं की गई उन पर 5.5 साल तक नजर रखकर यह औसत निकाला गया।
मरने वाले समूह में हृदय रोग और साथ में कैंसर मौत का सबसे सामान्य कारण था।
उम्र को विचार करने, पहले की बीमारी और सेक्स, हृदय रोग, दिल के वाल्व से जुड़ी बीमारी, कैंसर, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, दिल का दौरा पड़ना, मस्तिष्काघात सहित अन्य कारकों पर विचार करने के बावजूद जिनकी सर्जरी की गई उनकी मौत में कुल मिलाकर 57 फीसदी की कमी आई।
स्वीडन के गोटेनबर्ग विश्वविद्यालय की क्रिस्टीना पर्सन ने कहा, “अध्ययन से संकेत मिलता है कि मोटे लोग जो वजन कम करने के लिए सर्जरी कराते हैं उनमें और जो मोटापा कम करने की सर्जरी नहीं कराते उनकी तुलना में मौत के कारण कम होते हैं। यह अंतर मुख्य रूप से हृदयवाहिनी से जुड़ी बीमारी और कैंसर की वजह से है।
इस अध्ययन में 48 हजार 693 मोटे मरीजों को शामिल किया गया। इनकी उम्र 18 से 74 साल के बीच थी। इनमें से 22 हजार 581 ने वजन कम करने के लिए बैरिएट्रिक सर्जरी कराई थी जबकि अन्य 26 हजार 112 लोगों ने सर्जरी नहीं कराई थी।
इस अध्ययन का परिणाम हाल में स्वीडन में आयोजित यूरोपीयन ओबेसिटी समिट 2016 में पेश किया गया था।–आईएएनएस
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