नई दिल्ली, 29 जुलाई | सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को महाधिवक्ता रंजीत कुमार से कश्मीर घाटी के हालात पर स्टेटस रिपोर्ट मांगी। न्यायालय ने राज्य में राज्यपाल शासन की मांग को खारिज कर दिया। शीर्ष न्यायालय ने जम्मू एवं कश्मीर नेशनल पैंथर्स पार्टी की याचिका पर यह रिपोर्ट तलब की है।
सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति टी. एस. ठाकुर, न्यायमूर्ति ए. खानविल्कर तथा न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ की पीठ ने रिपोर्ट पेश करने का आदेश देते हुए याचिकाकर्ता जम्मू एवं कश्मीर नेशनल पैंथर्स पार्टी से कहा कि अदालत राज्यपाल को राज्य के शासन की बागडोर संभालने के लिए नहीं कह सकती।
प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति ठाकुर ने पार्टी की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील व पार्टी के प्रमुख भीम सिंह से कहा, “जमीनी हालात पल-पल बदलते हैं, यह वह मुद्दा नहीं है, जिसे न्यायपालिका के माध्यम से निपटा जाए।”
पैंथर्स पार्टी ने प्रशासन के नाकाम होने के आधार पर राज्य में राज्यपाल शासन लागू करने की मांग को लेकर 22 जुलाई को सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी। याचिका में जम्मू एवं कश्मीर संविधान के अनुच्छेद 93 का हवाला दिया गया है, जो राज्य सरकार व विधानसभा को निलंबित रखते हुए राज्यपाल को राज्य का संचालन करने के लिए सभी तंत्रों को अपने हाथ में लेने की अनुमति प्रदान करता है।
भीम सिंह से यह पूछते हुए कि किस प्रकार आपके मौलिक अधिकारों का हनन हुआ है, पीठ ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि न्यायालय की कार्रवाई का राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश की गई, तो पार्टी को न्यायालय की भारी नाराजगी का सामना करना पड़ेगा।
प्रधान न्यायाधीश ने जम्मू एवं कश्मीर नेशनल पैंथर्स पार्टी के प्रमुख भीम सिंह से कहा, “यह सुनिश्चित करें कि आप अदालत की कार्यवाही का कोई राजनीतिक लाभ नहीं लेंगे। यदि आप ऐसा करते हैं, तो आपको हमारी भारी नाराजगी का सामना करना पड़ेगा।”
उन्होंने कहा, “आप एक राजनीतिक शख्स हैं। जाइए और मुद्दे को लोगों के बीच सुलझाइए, न्यायालय में नहीं।” न्यायालय ने उनके पिछले एक साल से कश्मीर घाटी न जाने का संदर्भ देते उनसे पूछा कि वह अंतिम बार कश्मीर कब गए थे।
भीम सिंह ने न्यायालय से कहा कि बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं, तो पीठ ने कहा, “ठीक है, वे स्कूल नहीं जा पाए, क्योंकि हालात ही कुछ ऐसे बन गए।”
मामले की सुनवाई के लिए अगली तारीख अगले सप्ताह मुकर्रर करते हुए पीठ ने भीम सिंह से कहा, “आप एक भी किसी ऐसे व्यक्ति को सामने लाइए, जो हालिया अशांति के कारण अस्पताल नहीं जा सका।”
कश्मीर में आठ जुलाई को सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद नौ जुलाई से भड़की हिंसा व तनाव में अब तक दो पुलिसकर्मियों और 48 आम नागरिकों सहित 50 लोगों की जान जा चुकी है।(आईएएनएस)
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