नई दिल्ली, 15 जून | सर्वोच्च न्यायालय ने नीलगाय, जंगली सुअरों और बंदरों को हिंसक पशु घोषित करती तीन सरकारी अधिसूचनाओं को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के लिए मंजूरी दे दी है। इन अधिसूचनाओं से बिहार, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में इन पशुओं की हत्या का रास्ता साफ हुआ है। न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव की सदस्यता वाली सर्वोच्च न्यायालय की अवकाशकालीन पीठ ने पशु अधिकार कार्यकर्ता गौरी मॉलेखी और वन्य जीव बचाव एवं अनुसंधान केंद्र (डब्ल्यूआरआरसी) की दो याचिकाओं पर सुनवाई की स्वीकृति दे दी है।
गौरी और डब्ल्यूआरआरसी ने वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की धारा 62 के तहत जारी की गई अधिसूचना को चुनौती दी है। इस अधिसूचना के मुताबिक इन पशुओं की तुलना चूहों और विनाशकारी कीटों के साथ करते हुए इन्हें हिंसक पशु घोषित किया गया है।
गौरी और डब्ल्यूआरआरसी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद ग्रोवर ने पीठ को बताया कि सरकार तीन राज्यों में इन पशुओं का शिकार करने और इन्हें मारने के लिए लोगों को पहले ही नियुक्त कर चुकी है।
वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि यह फैसला बिना किसी शोध के लिया गया है।
वरिष्ठ अधिवक्ता द्वारा पीठ को इस मामले की जानकारी दिए जाने के बाद पीठ ने कहा कि वह एक सप्ताह के भीतर किसी भी दिन इस मामले पर सुनवाई करेगी।
–आईएएनएस
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