नई दिल्ली, 6 मार्च| बाबरी मस्जिद ढांचा ढहाए जाने के मामले की सुनवाई में हो रहे विलंब पर चिंता जताते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि लखनऊ तथा रायबरेली में चल रही अलग-अलग सुनवाई को एक जगह कर न्यायिक प्रक्रिया में तेजी लायी जानी चाहिए। न्यायाधीश न्यायमूर्ति पी.एस.घोष तथा न्यायमूर्ति आर.एफ.नरीमन की सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने मामले की सुनवाई की अगली तारीख 22 मार्च मुकर्रर की।
सर्वोच्च न्यायालय केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की उस अपील पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मई 2010 के फैसले को चुनौती दी गई थी।
उच्च न्यायालय ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती तथा उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में आपराधिक साजिश करने के आरोप से बरी कर दिया था।
उच्च न्यायालय ने कहा था कि सीबीआई की समीक्षा याचिका में कोई दम नहीं है, जिसमें उसने विशेष अदालत के चार मई, 2001 के आदेश को चुनौती दी है। विशेष अदालत ने भाजपा नेताओं के खिलाफ आपराधिक साजिश के आरोप को हटाने का आदेश दिया था। –आईएएनएस
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