नई दिल्ली, 29 जून | सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि वह इसकी जांच करेगा कि यदि मुसलमानों के निजी मामलों से जुड़े कानून (मुस्लिम पर्सनल लॉ) संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं तो अदालतें किस हद तक उसमें दखल दे सकती हैं। सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति टी. एस. ठाकुर तथा न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर की पीठ ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, जो बहुत से लोगों की जिंदगियों से जुड़ा है और इस पर अलग-अलग तरह के विचार हैं।
पीठ ने कहा, “हमें उन सभी को सुनना होगा और देखना होगा कि अदालतें मुस्लिम पर्सनल लॉ में ऐसे वक्त किस हद तक हस्तक्षेप कर सकती हैं, जब उन्हें लगे कि इससे मौलिक अधिकारों का हनन हुआ है।”
न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई के लिए छह सितंबर की तारीख निर्धारित की है।
–आईएएनएस
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