सवेरे जहां थी पहाड़ी, शाम को वहां तालाब बन गया

जयपुर, 6 फरवरी। बरसों से अपने क्षेत्र में पानी की समस्याओं से दो-चार होने वाले ग्रामीण चाहते तो थे कि उनके गाँव में ऐसा कुछ हो कि पानी के पुराने भण्डार फिर से अपना वजूद कायम कर लें, साथ ही ग्रामीणों, मवेशियों और क्षेत्र के खेतों की जरूरत के अनुरूप उनके अपने ही इलाके में पानी की अच्छी उपलब्धता सुनिश्चित हो। लेकिन इस बारे में कोई खास काम दशकों में भी नहीं हो पाया।

यह बात है राजस्थान के बांसवाड़ा जिले के कुशलगढ़ उपखण्ड क्षेत्र अन्तर्गत डूँगरीपाड़ा ग्राम पंचायत के हिम्मतपुरा गाँव की, जहाँ के ग्रामीणों के लिए मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन योजना नया जीवन आधार देने वाली सिद्घ हुई।

मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन योजना का आगाज होने के बाद जैसे ही उनके इलाके में कला जत्था के कलाकारों ने लोक जागरण किया, आम जनता को इस अभियान के बारे में जानकारी मिलने लगी, ग्रामीणों में इस अभियान के उद्देश्यों के बारे में समझ विकसित हुई और गाँव के लिए कुछ करने का संकल्प जगा, इसके बाद तो जैसे ग्रामीणों में उत्साह का ज्वार उमड़ आया।

क्षेत्रीय विधायक भीमा भाई और क्षेत्र के अन्य जन प्रतिनिधियों ने भी ग्रामीणों को इस बारे में आगे बढ़कर कार्य करने की सलाह दी और उन्हें प्रेरित किया और मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान को बताया और ग्रामीणों की पहल की सराहना की। ग्रामीणों ने अपने गाँव में पानी की समस्या के स्थायी समाधान के लिए जल स्रोत सृजित करने की सोची।

ग्रामीणों ने मिलकर तय कर लिया कि अब वे जलाशय बना कर ही मानेंगे। और वह दिन भी आ गया जब गांव वालों ने पहाडिय़ों के बीच ऐसा स्थान चुना जहाँ बरसात के दिनों में पानी का भराव रहता था लेकिन कुछ दिन बाद यह पानी सूख जाता।

कुछ दिन पहले गाँव के लोग इकट्ठा हुए और बढ़ चले अपने लक्ष्य की ओर। सारा गांव उमड़ आया इस काम के लिए। महिलाओं और पुरुषों ने अपने हाथों में गैंती-फावड़े थामे और तालाब बनाना शुरू कर दिया। शाम होते-होते ग्रामीणों की मेहनत जबर्दस्त रंग ले आयी। सवेरे तक जहां पहाड़ी थी वहां शाम को वह पूरा क्षेत्र तालाब में तब्दील हो उठा।

सूरज ढलने से पहले ही हिम्मतपुरा गाँव के लोगों का स्वप्न साकार हो उठा। ग्रामीणों का मानना है कि अबकी बार बरसात में इस नई बनी तलावड़ी में खूब पानी रुकेगा तथा लम्बे समय तक संरक्षित रहकर ग्रामीणों के काम आ सकेगा। इससे क्षेत्र के मवेशियों व सिंचाई के उपयोग में लेने से काश्तकार भी लाभान्वित होंगे।

डूँगरीपाड़ा ग्राम पंचायत की सरपंच शीला कटारा ने बताया कि गाँव के लोगों में मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन योजना की बदौलत व्यापक चेतना जगी है। एक ही दिन में अपने हाथों तलावड़ी बना डालने के बाद ग्रामीणों में खास ऊर्जा का संचार हुआ है। तलावड़ी बन जाने से गर्मियों के दिनों में गहराने वाली पेयजल समस्या का समस्या होने के साथ ही पशु-पक्षियों के लिए भी पीने का पानी आसानी से सुलभ हो सकेगा।

हिम्मतपुरा गाँव के लोगों को अब विश्वास हो चला है कि गाँव के लोग यदि मिल-जुलकर सामूहिक प्रयास करें तो गांव की बुनियादी सुख-सुविधाओं के लिए होने वाले सभी प्रकार के प्रयास सुनहरा आकार पा सकते हैं। हिम्मतपुरा गांव ने आस-पास के गांवों में भी प्रेरणा का संचार किया है। अब पड़ोसी गांवों के लोग भी मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान से प्रेरणा पाकर अपने जलस्रोतों को आबाद करने का संकल्प लेने लगे हैं।