नई दिल्ली 12 सितम्बर। राजस्थान,मध्य प्रदेश और उत्तरप्रदेश के सांसदों ने केन्द्र सरकार से वर्ष 2020-21 के लिए बनने वाली नई अफीम नीति (Opium policy) को किसानों के हित में बनाने का आग्रह किया है । सांसदों ने कहा कि नई नीति किसानों को राहत पहुंचाने की दृष्टि से बनानी चाहिए।
सांसदों ने अफीम (Opium) फसल की नपाई, कच्चे तौल, तौल एवं फैक्ट्री जाँच के सिस्टम को पारदर्शी बनाने की माँग भी रखी है।
चित्तौड़गढ़ (राजस्थान )के सांसद सी.पी.जोशी ने बताया कि यह माँग आगामी अफीम (Opium) नीति में किसानों को राहत देने के लिए सांसदों की ओर से विभिन्न सुझावों के लिये केन्द्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर की अध्यक्षता में आयोजित बैठक के दौरान कहीं गई ।
इस बैठक में झालावाड़ राजस्थान के सांसद दुष्यन्त सिंह, मन्दसौर मध्यप्रदेश सांसद सुधीर गुप्ता, शांहजहॉपुर उत्तरप्रदेश के सांसद अरूण कुमार सागर के साथ नारकोटिक्स डायरेक्टर दिनेश बोद्ध व वित्त मंत्रालय के अधिकारीगण भी उपस्थित रहे।
– नीति गोपेंद्र भट्ट –
सांसद सी पी जोशी ने बैठक व अपने सुझाव देते हुए कहा कि अफीम किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुये सभी सुझावों का समावेश आगामी अफीम नीति में करने की आवश्यकता हैं।
– वर्तमान समय में अफीम खेती में लागत की अपेक्षा काफी कम दाम किसानों को मिल रहे अतः अफीम फसल का मूल्य बढ़ाया जाये।
– वर्ष 1998 से अभी तक के सभी प्रकार के पट्टे घटीया मार्फीन से हो या कम औसत से हो या अन्य किसी प्रकार से कटे हों उन्हे बहाल किया जाये।
– अफीम का रकबा यानि क्षेत्रफल को समान रूप से बराबर आवंटित किया जाये।
– मार्फीन को आधार मानकर पट्टे जारी नही किये जाये क्योंकी मार्फीन की मात्रा का नियंत्रण किसानों के हाथों में नही हैं, अतः किसान का इस वजह से अकारण ही पट्टा रूक जाना न्यायसंगन नही है।
– दैनिक तौल को बन्द कर दिया जाना चाहिये क्योंकी अफीम निकालते समय अफीम में पानी की मात्रा होती है। समय के साथ ही पानी सुखता रहता हैं एवं अफीम का वजन कम होता जाता है।
– डोडाचुरा का मुकदमा एन.डी.पी.एस. की धाराओं में बनाकर हजारों किसानों को जेलां में बन्द किया जाता है, जबकी डोडाचुरा में मादक पदार्थ बहुत की कम मात्रा लगभग 0.2 प्रतिशत के लगभग में होता है, इस एन.डी.पी.एस. से हटाकर आबकारी में शामिल किया जा सकता है।
– जिन किसानों को अफीम (Opium) लाईसेंस के लिये पात्र माना गया हैं उन किसानों को विभाग के द्वारा लाईसेंस पात्रता की सूचना लिखित में दी जावें। किसान यदि फसल बोना नही चाहता हैं तो यह किसान से लिखित में लिया जाये तथा यह जिम्मेदारी विभाग की होनी चाहिये।
– अफीम तौल केन्द्र पर ही अफीम जाँच का अंतिम परिणाम प्राप्त हो सके ऐसी प्रक्रिया अपनाई जाये।
– अफीम फसल बुवाई के 45 दिनों के अन्दर गिरदावरी कार्य पूर्ण कर लिया जाये।
– विगत वर्ष में जिन किसानों को लाईसेंस तो मिल गये लेकिन किसी कारणवश फसल बो नही पाये, ऐसे किसान उसी वर्ष फसल बोने की शर्त के कारण वचित रह गये, उन्हे भी इसी वर्ष फसल बोने की अनुमति प्रदान की जाये।
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