सात्विक, सम्यक जीवन से ही आनंद संभव : शिवराज

भोपाल, 15 जुलाई (जनसमा)। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शुक्रवार को आनंद विभाग के बारे में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा, ‘‘अक्सर सोचता हूं कि एक तरफ दुनिया में सुख सुविधायें बढ़ रही हैं और मनुष्य दिनों-दिन प्रगति के नये आयाम रचता जा रहा है, वहीं उसके जीवन में आनंद का आभाव क्यो? असहिष्णुता, हिंसा, निराशा, अवसाद, आत्महत्या आदि जैसी नकारात्मक प्रवृत्तियों के बढ़ने के कारण क्या?”

शिवराज का कहना है कि पूरी दुनिया आज आनंद की खोज में है। भूटान में 70 के दशक से ही नेशनल हैप्पीनेस इंडेक्स की अवधारणा लागू है। हाल ही में यू.ए.ई. ने हैप्पीनेस मिनिस्ट्री की स्थापना की है। यू.एन. भी इस दिशा में लगातार काम कर रहा है कि दुनिया में खुशहाली या आनंद किस प्रकार बढ़े। मध्यप्रदेश में भी हमने आनंद विभाग की स्थापना का निर्णय लिया है।

उन्होंने कहा, “विचार करता हूं तो इस निष्कर्ष पर पहुंचता हूं कि भौतिक सुख-सुविधाओं से आनंद की प्राप्ति नहीं हो सकती। इनसे सुख मिल सकता है, लेकिन आनंद नहीं है। आनंद कुछ और बड़ी एवं गहरी अनुभूति है। हमारे देश में युगों से मनीषियों एवं चिंतकों ने इस दिशा में गहरा चिंतन किया। योग और ध्यान जैसी कुछ अनूठी विधियां भी विकसित कीं, जो मनुष्य को आनंद की प्राप्ति में सहायक होती रही हैं। हमारे मनीषियों का मानना है कि आनंद बाहर से नहीं आता, वह हमारी सहज और स्वाभाविक अवस्था है। इसे विभिन्न परिस्थितियों तथा हमारे अपने मनोविकारों ने दबा दिया है।”

मुख्यमंत्री ने कहा कि अमेरिका के अंतर्राष्ट्रीय प्रबंधन संस्थान ने ग्रॉस नेशनल वेलनेस की अवधारणा को अपनाया है। इसमें मानसिक एवं भावनात्मक सकुशलता, शारीरिक स्वास्थ्य, कार्य एवं आय, सामाजिक संबंध, आर्थिक प्रगति और अवकाश तथा रहने के वातावरण आदि को पैमाना माना गया है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने हैप्पीनेस इंडेक्स में प्रति व्यक्ति सकल घरेलु उत्पाद, स्वस्थ दीर्घ जीवन, परस्पर सहयोग, परस्पर विश्वास, निर्णय लेने की स्वतंत्रता और उदारता को शामिल किया गया है।

शिवराज ने कहा, “ये सभी बातें मनुष्य के जीवन में सुख-समृद्धि लाने में सहायक हैं भी। मध्यप्रदेश में हमने आनंद विभाग की जिस अवधारणा लागू करने का विचार किया है उसमें अन्य देशों की अवधारणों को भी यथोचित और यथासंभव स्थान दिया जायेगा, लेकिन साथ ही यह भारतीय मनीषा की आनंद की अवधारणा पर भी केंद्रित होगी।”

उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में यह विभाग आनंद प्राप्ति भी सहयोग प्रोत्साहित करने और उसके लिए सकारात्मक परिवेश निर्मित करने में सहयोग करेगा। विभाग मानव कल्याण की दिशा में कार्य करने वाली संस्थाओं के साथ समन्वय स्थापित कर उनके कार्यों में सहयोग करेगा और अपने कार्यों में उनका सहयोग भी लेगा।