न्यूयॉर्क, 16 जुलाई (आईएएनएस)| मस्तिष्क संबंधी बीमारियों जैसे ऑटिज्म-स्पेक्ट्रम व सिजोफ्रेनिया के मरीजों में प्रतिरक्षा तंत्र के ठीक से काम न करने से उनके सामाजिक बर्ताव में बदलाव आ सकता है। एक नए अध्ययन में यह बात सामने आई है। अमेरिका के युनिवर्सिटी ऑफ मैसाचुसेट्स मेडिकल स्कूल में सहायक प्रोफेसर व्लादिमीर लितवेक ने कहा, “हमारा निष्कर्ष मस्तिष्क संबंधी बीमारियों जैसे ऑटिज्म तथा सिजोफ्रेनिया के मरीजों के सामाजिक बर्ताव की गहरी समझ में योगदान प्रदान करता है और इनके इलाज की दिशा में नए दरवाजे खोल सकता है।”
स्वास्थ्य व बीमारियों में प्रतिरक्षा तंत्र व मस्तिष्क के बीच संबंधों की जांच करने के लिए शोधकर्ताओं ने एक सिस्टम्स-बायोलॉजी दृष्टिकोण का विकास व इस्तेमाल किया।
इस दृष्टिकोण के इस्तेमाल से वैज्ञानिकों ने पाया कि प्रतिरक्षा तंत्र के संकेत चूहे व अन्य जानवरों में सामाजिक बर्ताव को न सिर्फ प्रभावित कर सकते हैं, बल्कि उसे बदल भी सकते हैं।
शोधकर्ताओं ने मस्तिष्क के कार्यो में दखलंदाजी करने वाले इंटरफेरॉन गामा (आईएफएन-?) की अप्रत्याशित भूमिका की खोज की, जो प्रतिरक्षा कोशिकाओं द्वारा स्रावित होता है और सामाजिक बर्ताव को प्रभावित करता है।
शोध के दौरान, उन्होंने पाया कि जब चूहे में आईएफएन-? को निष्क्रिय किया जाता है, तब उसका मस्तिष्क अति सक्रिय हो जाता है, जिसके कारण उनके द्वारा एक अजीब ढंग का बर्ताव सामने आता है।
वहीं आईएफएन-? को सक्रिय करने पर मस्तिष्क संतुलित ढंग से कार्य करने लगता है और उसका बर्ताव भी सही रहता है।
युनिवर्सिटी ऑफ वर्जीनिया के जोनाथन किपनिस ने कहा, “माना जाता था कि मस्तिष्क तथा प्रतिरक्षा प्रणाली एक-दूसरे से अलग थे और मस्तिष्क में किसी भी प्रकार की प्रतिरक्षा गतिविधि को बीमारी के तौर पर देखा जाता था।”
किपनिस ने कहा, “और अब, हम केवल यह नहीं दर्शा रहे हैं कि ये एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं, बल्कि हमारे कुछ बर्ताव विकसित हो चुके हैं, क्योंकि हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली रोगाणुओं से प्रतिक्रिया करती है।”
यह अध्ययन पत्रिका ‘नेचर’ में प्रकाशित हुआ है।
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