भोपाल, 29 अप्रैल (जनसमा)। मध्यप्रदेश का सिंहस्थ-2016 सिर्फ धार्मिक महानुष्ठान ही नहीं, बल्कि सामाजिक सरोकारों का भी महाकुंभ बन गया है। यहाँ धर्म-अध्यात्म के साथ पर्यावरण संरक्षण, विश्व-शांति, स्वच्छता, भ्रूण-हत्या, बेटी बचाने तथा क्षिप्रा को स्वच्छ रखने के संकल्प के स्वर भी गूँज रहे हैं। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सर्वोच्च प्राथमिकता वाले इन सभी सामाजिक अनुष्ठानों में साधु-संतों का मार्गदर्शन मिलने से समाज को धार्मिक सम्बल मिला है। इससे इन सबका बेहतर क्रियान्वयन करवाने में मदद मिलेगी।
फोटोः ब्राजील के लोग भी सिंहस्थ में कर रहे हैं बढ़-चढ़कर भागीदारी।
दुनिया को मानवीय मूल्यों की रक्षा का संदेश देने के मामले में इस बार का सिंहस्थ अतीत के महाकुंभों से अनूठा और नवेला है। धर्म के अटल अनुशासन का सबक देने वाले जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि महाराज और परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष और आध्यात्मिक गुरू स्वामी चिदानन्द सरस्वती पर्यावरण और प्रकृति संरक्षण के साथ-साथ खुले में शौच नहीं करने तथा शौचालय का प्रयोग करने का श्रद्धालुओं को संदेश दे रहे हैं। ये धर्मगुरू अपने अनुयायियों को तो इनकी सीख दे ही रहे हैं, साथ ही समूचे मेला क्षेत्र में इस प्रकार के संदेश देते होर्डिंग्स भी जगह-जगह लगे हुए हैं। होर्डिंग्स में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा प्रवर्तित ”स्वच्छ भारत-एक कदम स्वच्छता की ओर” जैसे स्वच्छता के अब तक के सबसे क्रांतिकारी अभियान का भी जिक्र है।
नदियों के संरक्षण के मामले में सरकार के साथ समाज को जुड़ने का संदेश देते होर्डिंग में लिखा है – ”कितनी पावन हैं ये नदियाँ-चाहे गंगा हो या क्षिप्रा”, खुले में शौच न करें, शौचालय का प्रयोग करें। इसके अलावा परमार्थ निकेतन द्वारा मोक्षदायिनी क्षिप्रा के आँचल को हरियाली की चादर ओढ़ाने के लिए डेढ़ लाख पौधे रोपे जायेंगे, जो पीढ़ियों के लिए सिंहस्थ का महाप्रसाद बनेंगे।
महाकुंभ में भगवान शनि के उपासक दाती महाराज ने बेटियाँ बचाने के संकल्प का शंखनाद किया है। पूरे सिंहस्थ क्षेत्र में बेटी बचाने का संदेश देते दाती महाराज के होर्डिंग लगे हैं, जिसमें वे धर्मध्वजा फहराने के साथ ही बेटियों को बचाने के लिए भी प्रेरित कर रहे हैं।
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