नई दिल्ली, 15 जून | विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट के मुताबिक, हर साल केवल 90 लाख यूनिट रक्त एकत्र किया जाता है, जबकि जरूरत 120 लाख यूनिट की पड़ती है। दिल्ली-एनसीआर में एक लाख यूनिट की कमी हर साल पाई जाती है। रक्तदान करने से लोग भले ही घबराते हों, लेकिन सच तो यह है कि साल में एक बार रक्तदान करना फायदेमंद है। हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष और आईएमए के मानद सचिव पद्मश्री डॉ. के.के. अग्रवाल का कहना है कि रक्तदान के प्रति कई तरह की भ्रांतियां हैं, इसलिए लोग रक्तदान करने से कतराते हैं।
उन्होंने कहा, “रक्तदान से हमारी सेहत को होने वाले लाभ और इसके जरिए कई जान बचाने के बारे में जागरूकता फैलानी जानी चाहिए। आम भ्रांति है कि रक्तदान करने से लोग बीमार पड़ जाते हैं, शरीर में खून की कमी हो जाती है, उम्र बढ़ने के साथ शरीर में आयरन की कमी हो जाती है, जबकि रक्तदान सुरक्षित, फायदेमंद होता है और सभी सेहतमंद लोगों को साल में एक बार जरूर रक्तदान करना चाहिए।”
कुछ भ्रांतियां और तथ्य :
भ्रांति : रक्तदान करने से दर्द होता है।
तथ्य : एक सुई चुभने से ज्यादा दर्द नहीं होता।
भ्रांति : रक्तदान करने से एचआईवी और अन्य संक्रमण हो जाता है।
तथ्य : प्रत्येक रक्तदान कर्ता से रक्त लेने का एक स्पष्ट तरीका होता है। सभी स्तरों पर स्र्टेलिटी अपनाई जाती है। प्रत्येक व्यक्ति के लिए अलग साफ-सुथरी नई सुई का प्रयोग किया जाता है और प्रयोग के बाद उसे सही तरीके से नष्ट किया जाता है। साफ सुथरे औजार और तकनीक प्रयोग करने से संक्रमण होने का खतरा बेहद कम हो जाता है।
भ्रांति : रक्तदान करने से शरीर कमजोर हो जाता है।
तथ्य : एक सेहतमंद व्यक्ति साल में तीन महीने के अंतराल में चार बार रक्तदान कर सकता है।
भ्रांति : रक्तदान करने में बहुत वक्त लग जाता है।
तथ्य : एक बार रक्त देने में एक घंटे से ज्यादा समय नहीं लगता।
भ्रांति : बार-बार रक्तदान करने से शरीर में आयरन की कमी हो जाती है।
तथ्य : नहीं, एक सेहतमंद व्यक्ति जिसकी खानपान की आदतें अच्छी हों, वह नियमित अंतराल के बाद रक्तदान कर सकता है और इससे आयरन की कमी नहीं होती।
भ्रांति : रक्तदान करने पर आगे चलकर शरीर में रक्त की कमी हो जाएगी।
तथ्य : एक बार रक्तदान करने में 350 से 450 ग्राम रक्त लिया जाता है। शरीर में इतना रक्त होता है कि बिना किसी समस्या के दिया जा सकता है। रक्तदान के बाद शरीर अपने आप नया रक्त बना देता है।
भ्रांति : रक्तदान के लिए उम्र की बंदिश होती है।
तथ्य : 18 से 60 साल का कोई भी व्यक्ति जो स्वस्थ व तंदुरुस्त है, वह रक्तदान कर सकता है।
भ्रांति : मोटे लोगों में ज्यादा रक्त होता है और वे ज्यादा रक्तदान कर सकते हैं।
तथ्य : ज्यादा वजन बल्कि लोगों को अस्वस्थ बना देता है, उनमें ज्यादा रक्त नहीं होता।
भ्रांति : रक्तदान करने से सेहत कमजोर हो जाती है।
तथ्य : अगर आप रक्तदान से पहले सेहतमंद हैं तो एक-दो दिन में सामान्य हो जाते हैं। रक्तदान के बाद थोड़ी देर के लिए आराम करें। आवश्यक मात्रा में तरल पदार्थ लेने से कम हुई मात्रा कुछ ही घंटों में पूरी हो जाती है। रक्तदान के बाद शरीर में तेजी से नई रक्त कोशिकाएं बनाती हैं। सभी लाल रक्तकण तीन-चार दिनों में और सफेद रक्तकण तीन-चार सप्ताह में बन जाते हैं।
भ्रांति : रक्तदान के बाद शारीरिक गतिविधियों और खेलकूद में भाग नहीं ले सकते।
तथ्य : रक्तदान का शारीरिक गतिविधियों पर कोई असर नहीं पड़ता।
भ्रांति : जब जरूरत हो, रक्त बनाया जा सकता है।
तथ्य : रक्त ऐसी चीज नहीं है कि बनाया जा सके। यह केवल स्वस्थ व्यक्ति से ही प्राप्त किया जा सकता है।
भ्रांति : रक्तदान करते समय धर्म और जाति का ध्यान रखना चाहिए।
तथ्य : जाति और धर्म रक्तदान करने का मापदंड नहीं होते। केवल रक्त की किस्म और ग्रुप अहम होते हैं। –आईएएनएस
(फोटो: सिन्हुआ/आईएएनएस)
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