उज्जैन में 5 अप्रैल, 2016 को सिंहस्थ-2016 की पहली पेशवाई में शामिल साधु-संत। विक्रम विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित विक्रम -स्मृति -ग्रंथ के अनुसार मराठा शासक राणोजी शिंदे के समय उज्जैन में सिंहस्थ शुरू हुआ। राणोजी शिंदे की मृत्यु 1745 में हो गई थी। उन दिनों महाराष्ट्र से लेकर उज्जैन तक मराठाओं का शासन था। उस समय उज्जैन में नासिक से अखाड़ों के साधु संतों को आमंत्रित किया गया था।
कहा जाता है कि 1789 में नासिक के सिंहस्थ के समय शैव और वैष्णव पंथ के साधु-सन्यासियों के दो गुटों में झड़प हो गई थी तब पेशवा शासकों ने दोनों पंथ के साधु-सन्यासियों को आदेश दिया कि जब भी वे सिंहस्थ के समय उज्जैन जाएं, क्षिप्रा नदी के अलग-अलग किनारों पर पवित्र स्नान करें। यह नियम उज्जैन में लागू किया गया। पेशवाओं के शासनकाल में की गई इस व्यवस्था के कारण की सन्यासियों के आगमन को पहली पेशवाई कहा जाता है।
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