तरुण बसु===
पश्चिम बंगाल की सीमा पार कर सिक्किम में प्रवेश करने के साथ ही एक खास फर्क आसानी से महसूस किया जा सकता है। नक्काशीदार पत्थर और सिक्किम की जनजातीय कलाकृतियों से पटी दीवारें मन को सुखद अहसास कराती हैं। यहां सीमा पार करते ही पहला शहर रांगपो है, जहां की व्यवस्था आपको अपनी ओर खींचती है।
फोटो: सिक्किम के मुख्यमंत्री पवन कुमार चामलिंग 24 मार्च, 2016 को गंगटोक में अपने निवास पर होली मनाते हुए।( आईएएनएस)
गंगटोक की सीमा में प्रवेश करने के बाद बदलाव स्पष्ट रूप से महसूस किया जा सकता है। यहां एक साइनबोर्ड लगा है, जिस पर लिखा है, “आप अब खुले में शौच मुक्त क्षेत्र में प्रवेश कर रहे हैं।”
गंगटोक का विकास कार्य आश्चर्यजनक है, विशेष रूप से कुछ दशकों बाद यहां आने पर विकास को देखकर आश्चर्य होता है। सड़कें साफ और कूड़े से मुक्त हैं। यातायात व्यवस्थित और अनुशासन में है। सड़क नियमों का उल्लंघन करने पर 5,000 रुपये तक के भारी जुर्माने की व्यवस्था है। सुनियोजित रूप से विकसित शहरों में व्यवस्थित पुल और ट्यूब्लर कनेक्टर, लगभग एक किलोमीटर दूर शॉपिंग प्लाजा को देखकर लगता है कि आप भारत में नहीं किसी दक्षिणपूर्व एशियाई शहर में हैं। गंगटोक नगरपालिका एक ऐसा नगर निकाय है, जो देश के अन्य नगरपालिकाओं की तुलना में बेहतर से काम करता प्रतीत हो रहा है।
सिक्किम एक व्यवस्थित राज्य का मनोरम प्रभाव छोड़ता है। यहां पवन चामलिंग पिछले लगभग 22 वर्षो से सत्ता में हैं और 2019 में उनके पांचवें कार्यकाल की समाप्ति पर वह पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री ज्योति बसु को पछाड़कर देश के सबसे लंबे समय तक शासन करने वाले मुख्यमंत्री का गौरव हासिल कर लेंगे। ज्योति बसु 23 वर्षो तक पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री पद पर रहे थे।
सिक्किम के ड्राइवर भी अलग छाप छोड़ते हैं। लेकिन वही चालक जब पश्चिम बंगाल पहुंचता है तो उसकी सोच और शैली बदल जाती है। ड्राइवर मोहन छेत्री कहता है, “एक ही ड्राइवर में जमीन आसमान का फर्क है। वह जानता है कि अगर उसने सिक्किम में यातायात नियमों का सख्ती से पालन नहीं किया तो पुलिस उसे रोक लेगी। उस पर जुर्माना लगाया जाएगा, लेकिन पश्चिम बंगाल में उसे जो अच्छा लगता है वह वही करता है और पुलिसकर्मी भी उसे कुछ नहीं बोलते हैं।”
यह काफी हैरान करने वाला है कि किस तरह एक राज्य हर क्षेत्र में कुशलता से कार्य कर रहा है। इसे देश के पहले जैविक राज्य और सर्वाधिक स्वच्छ हिल स्टेशन (गंगटोक) होने का गौरव प्राप्त है, लेकिन इसके बावजूद सिक्किम से बाहर इसकी पहचान क्यों नहीं है?
दिल्ली में तो लोग यहां तक पूछ बैठते हैं कि क्या सिक्किम भारत में है? देश के कई हिस्सों में सिक्किम के लोगों को विदेशी के तौर पर देखा जाता है।
एक स्थानीय टिप्पणीकार जीवन राय द्वारा समाचार पत्र ‘सिक्किम एक्सप्रेस’ में लिखे गए लेख में सिक्किम के लोगों का दर्द उजागर किया गया है। राय लिखते हैं, “यह जानना काफी रोचक होगा कि भारतीय इसके बारे में कितना जानते हैं। देश में हमारे बारे में लोगों में कितनी जिज्ञासा है?”
लेख में राय कहते हैं, “एक फिल्मी हस्ती (अमिताभ बच्चन) के कुत्ते की मौत पर 166 शब्दों की रिपोर्ट प्रकाशित की गई, लेकिन सिक्किम के प्रथम मुख्यमंत्री काजी लेन्डुप दोरजी के निधन पर 154 शब्दों की छोटी-सी रिपोर्ट ही प्रकाशित हुई।”
सिक्किम की मुख्य समस्याओं में यहां पहुंचने में परेशानी है। सिक्किम में कोई हवाईअड्डा नहीं है। हवाईअड्डे की परियोजना तीन से अधिक वर्षो यानी 2017 तक लंबित है। सिर्फ बागडोगरा से ही चार घंटे की यात्रा कर वहां पहुंचा जा सकता है, वह भी तब जब भूस्खलन की स्थिति नहीं हो। यहां सर्वाधिक पास का रेलवे स्टेशन भी पश्चिम बंगाल का जलपाइगुड़ी है, जिसके जरिए अधिक संख्या में पर्यटक पूर्वी भारत पहुंचते हैं। सिक्किम में पर्यटन काफी फल-फूल रहा है, क्योंकि यहां के हिल स्टेशन आपको अपनी ओर खींचते हैं।
लेकिन अब स्थिति बदल रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनवरी में सिक्किम के जैविक महोत्सव का उद्घाटन किया था। वह सिक्किम की उपलब्धियों से खासा प्रभावित होकर लौटे थे। मोदी ने मई महीने में मेघालय में एक रैली में कहा था, “दूसरे राज्य सिक्किम से बहुत कुछ सीख सकते हैं।”
सिक्किम देश का सबसे कम आबादी वाला राज्य है। यहां की आबादी लगभग 610,000 है। यह गोवा के बाद सबसे छोटा राज्य भी है, लेकिन इन सबके बावजूद सिक्किम ने अपनी एक अलग पहचान बनाई है।
सिक्किम के खाते में ढेरों उपलब्धियां हैं, जिसमें एक ग्रामीण प्रबंधन और विकास के लिए 2013 में लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिए प्रधानमंत्री पुरस्कार। इसे सौ फीसदी स्वच्छता के लिए भी पुरस्कार मिला है, देश में यह पुरस्कार जीतने वाला सिक्किम एकमात्र राज्य है। सिक्किम का एक महत्वपूर्ण पहलू पंचायतों को सशक्त बनाना और महिला सशक्तिकरण है। ग्रामीण विकास बजट का लगभग 70 प्रतिशत ग्राम पंचायतों को दिया जाता है, जिसका इस्तेमाल गरीबी उन्मूलन में हो रहा है। सिक्किम में अत्यधिक गरीबी नहीं है।
पंचायतों में लगभग 50 प्रतिशत सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हैं। सिक्किम का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) विकास दर लगातार 12 प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है, जो देश में सर्वाधिक है।
हालांकि, इसकी नीति के कुछ नकारात्मक पक्ष भी हैं। राज्य में साक्षरता दर 80 प्रतिशत से अधिक है, लेकिन शिक्षा की गुणवत्ता खस्ता है और कौशल विकास का अभाव है, जिस वजह से लोग रोजगार की तलाश में बाहर जा रहे हैं।
सिक्किम में जीवन की सर्वश्रेष्ठ गुणवत्ता इसकी स्वच्छ और आसान जीवनशैली है, जो अन्य पूर्वोत्तर राज्यों की तुलना में युवाओं को अपने सपने पूरे करने के लिए मेट्रो शहरों की ओर कूच करने से रोक रहा है।
चामलिंग ने अक्सर कहा है कि वह गंगटोक को सिंगापुर और सिक्किम के ग्रामीण क्षेत्रों को स्विट्जरलैंड जैसा बनाना चाहते हैं।
लोकसभा में सिक्किम से एकमात्र सांसद पी.डी.राय आईआईटी और आईआईएम, दोनों संस्थानों से स्नातक हैं। वह कहते हैं कि इससे सिक्किम को एक आधुनिक राज्य बनाने में मदद मिलती है।
एक छोटा-से राज्य की बड़ी सोच कोई असामान्य बात नहीं है। लेकिन यह तभी संभव है, जब नई दिल्ली एक क्षेत्रीय पार्टी (सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट) को उसके राजनीतिक लक्ष्य हासिल करने में सहयोग करे। –आईएएनएस
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