सियाचिन से जिंदा निकले जवान हनुमनथप्पा नहीं रहे

नई दिल्ली, 11 फरवरी। पिछले तीन दिनों से कोमा में चल रहे सियाचिन ग्लेशियर से जिंदा निकाले गए एकमात्र जवान लांस नायक हनुमनथप्पा कोप्पड़ का गुरुवार को दिल्ली के आर्मी हॉस्पिटल (रिसर्च एंड रेफरल) में निधन हो गया।

 फाइल फोटोः लांस नायक हनुमनथप्पा कोप्पड़ (आईएएनएस/डीपीआरओ)

हनुमनथप्पा कोप्पड़ को दो दिन पहले गंभीर हालत में इस अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्होंने गुरुवार सुबह 11.45 बजे अंतिम सांस ली। गुरुवार सुबह चिकित्सकों ने कहा था कि उनकी हालत बेहद नाजुक है। तड़के उनकी हालत और बिगड़ गई।

लांस नायक हनुमनथप्पा कोप्पड़ के निधन से पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है। लाखों देशवासी लांस नायक की सलामती की दुआएं मांग रहे थे लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका। कोप्पल की पत्नी समेत उनका परिवार अस्पताल परिसर में है। उनकी एक दो साल की बेटी भी है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हनुमनथप्पा के निधन पर शोक जताते हुए ट्वीट किया, “वह हमें दुखी व तन्हा कर चले गए। लांस नायक हनुमनथप्पा की आत्मा को शांति मिले। जवान आप अमर हैं। गर्व है कि आप जैसे शहीदों ने भारत की सेवा की।”

हनुमनथप्पा के निधन पर रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर व कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी ने भी दुःख व्यक्त किया है।

जब से हनुमनथप्पा को सियाचिन से जिंदा निकालकर दिल्ली लाया गया है तब से लाखों देशवासी लांस नायक की सलामती की दुआएं मांग रहे थे, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका।

उल्लेखनीय है कि तीन फरवरी को सियाचिन ग्लेशियर में एक जबर्दस्त हिस्खलन हुआ था, जिसमें हनुमनथप्पा और नौ अन्य सैनिक लापता हो गए थे। सोमवार को करीब 35 फुट बर्फ के नीचे से हनुमनथप्पा जिंदा निकाले गए।

हनुमनथप्पा अपने 13 साल की सेवा में 10 साल दुर्गम व चुनौतीपूर्ण जगहों पर तैनात रहे। वह आतंकवाद रोधी अभियानों में भी सक्रिय रूप से शामिल रहे।वह अगस्त, 2015 से सियाचिन ग्लेशियर के अति ऊंचाई वाले इलाकों में सेवा दे रहे थे।