लखनऊ, 01 फरवरी। केन्द्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. हर्षवर्धन और वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद के उपाध्यक्ष ने किसानों और खेतीबाड़ी में लगे उद्यमियों का आह्वान किया है कि वे अपनी आय में वृद्धि के लिए आधुनिक प्रौद्योगिकी और सुधरी किस्मों के औषधीय और सुगंध जनित पौधे रोपने का आग्रह किया है।
आज लखनऊ में परिषद और केन्द्रीय औद्योगिक औषधि और सुगंधजन्य पौध संस्थान (सीआईएमएपी) द्वारा आयोजित किसान मेले में बोलते हुए उन्होंने कहा कि इस तरह उद्योग की वस्तुओं के इस्तेमाल से किसानों के गुणवत्तापूर्ण कच्चे माल के उत्पादन की मांग में भी मदद मिलेगी।
मंत्री ने कहा कि ये पौधे देश में बहुमूल्य हरित संपदा वाले हैं, इन्हें ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले गरीब लोगों की आजीविका के अवसर निर्माण के लिए सतत रूप से स्वीकार किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि स्टार्टअप द्वारा उद्योगों के जरिए औषधि और सुगंधित पौधों के उत्पादन को बढ़ावा देने की भरपूर संभावनाएं हैं।
डॉ. हर्षवर्धन ने वैज्ञानिकों का आह्वान किया कि वे बदलते जलवायु परिवर्तनों के मद्देनजर इन पौधों के संरक्षण और इनकी खेती के लिए परिष्कृत प्रौद्योगिकी का विकास करें। साथ ही खत्म होते कृषि से जुड़े संसाधनों में भी ऐसी ही प्रौद्योगिकी अपनाएं। डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि देश के विभिन्न भागों के किसानों को अनुसंधान प्रयोगशालाओं और कार्यशालाओं द्वारा नयी किस्मों के विकास के बारे में नियमित रूप से जानकारी दी जानी चाहिए। इसके लिए किसान मेले भी आयोजित होने चाहिए।
डॉ. हर्षवर्धन ने पहुंच से वंचित क्षेत्रों में वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद और सुगंध जनित पौधों वाले संस्थान द्वारा किए गए प्रयासों की प्रशंसा करते हुए कहा कि इनके प्रयासों के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में स्वरोजगार के नए-नए अवसर सृजित हुए हैं जिसे साफ-साफ देखा जा सकता है।
घास की किस्में खोजकर उनसे जरूरी तेल निकालकर मलेरिया रोधी, औषधीय उत्पाद को समाज के सामने लाने में इन संस्थानों के कार्यों की प्रशंसा करते हुए मंत्री महोदय ने कहा कि उद्योगों को इसमें भागीदारी सुनिश्चित करके ऐसे पौधों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए, जिससे गरीब किसानों और उद्यमियों को अपने उत्पादों के विपणन में कठिनाई न आए।
डॉ. हर्षवर्धन ने आगे कहा कि आज आम जनता प्राकृतिक संसाधनों से बनी दवाओं और कॉस्मेटिक पदार्थों के इस्तेमाल को ज्यादा पसंद करती है, क्योंकि दुनियाभर में कृत्रिम औषधियों के इस्तेमाल के कारण इनके बुरे असर की दरें बढ़ रही हैं। उन्होंने जड़ी-बूटियों से बनी दवाओं के प्रति लोगों में भरोसा उभारने के लिए पहल करने की जरूरत पर जोर दिया।
डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि वैज्ञानिकों को आयुर्वेद की ऐसी मानक औषधियां बनानी चाहिए जिससे इनके इस्तेमाल से गरीब व्यक्ति के स्वास्थ्य सुधार में मदद मिल सके। इसके लिए मंत्री महोदय ने प्राकृतिक दवाओं की किस्मों को विकसित करने पर जोर देते हुए देश में इस्तेमाल न हो पाने वाली व्यापक भूमि के प्रयोग की जरूरत पर जोर दिया।
इस मेले में कई उद्योगों- आईपीसीए प्रयोगशाला, जिन्दल ड्रग्स, हर्बोकेम इंडस्ट्रीज, अजमल समूह और सिडबी सहित कई कंपनियों ने हिस्सा लिया। इस दौरान आयोजित किसान मेले में उपलब्ध वस्तुओं को खरीदा गया। मेले में ग्रामीण क्षेत्रों में इस्तेमाल होने वाले उत्तम उपकरणों को भी प्रदर्शित किया गया।
इस अवसर पर मंत्री और दूसरे गणमान्य लोगों ने विचार-विमर्श किया। किसान मेले में ओडिशा, झारखण्ड, बिहार, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, मध्यप्रदेश, गुजरात और राजस्थान सहित कई राज्यों के करीब 4000 किसानों और उद्यमियों ने हिस्सा लिया।
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