सुप्रीम कोर्ट ने आज 5 जनवरी, 2023 को हल्द्वानी में बनभूलपुरा इलाके में रेलवे की जमीन से अतिक्रमण हटाने के उत्तराखंड हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी।
इस मामले पर अब 7 फरवरी को सुनवाई होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड के हल्द्वानी के बनभूलपुरा इलाके में रेलवे की जमीन से अतिक्रमण हटाने के उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर रेलवे और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘50,000 लोगों को रातोंरात नहीं हटाया जा सकता है।’ रेलवे के मुताबिक, जमीन पर 4,365 अतिक्रमणकारी काबिज हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने भूमि पर किसी भी नए निर्माण या विकास पर रोक लगा दी है। मामले को अब 7 फरवरी को अगली सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।
न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति ए एस ओका की पीठ ने कहा कि यह एक ‘मानवीय मुद्दा’ है और कुछ व्यावहारिक समाधान खोजने की जरूरत है।
इस क्षेत्र में, कथित अतिक्रमित रेलवे भूमि के 29 एकड़ में फैले क्षेत्र में धार्मिक स्थल, सरकारी स्कूल, अस्पताल, व्यावसायिक प्रतिष्ठान और निवास हैं।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में बेदखली का सामना कर रहे हल्द्वानी के बनभूलपुरा के निवासी गुरुवार को एक मस्जिद के सामने धरने पर बैठे थे। बड़ी संख्या में महिलाओं और बच्चों सहित प्रदर्शनकारियों ने भी सामूहिक रूप से नमाज अदा की।
यहाँ रह रहे लोगों का कहना है कि उनके पिता और दादा भी इसी इलाके की स्कूलों में पढ़े हैं और पीढ़ियों से लोग यहाँ रह रहे हैं।
यहाँ के निवासियों का यह आरोप भी है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने इस मामले में हाई कोर्ट में ठीक से पैरवी नहीं की और न सही ढंग से तथ्यों को कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया
इससे पहले 4 जनवरी को अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने शीर्ष अदालत के समक्ष याचिका का उल्लेख करते हुए कहा था कि हल्द्वानी में 5,000 से अधिक घरों को गिराया जाने वाला है।
उत्तराखंड हाई कोर्ट ने 20 दिसंबर,2022 को हल्द्वानी के बनभूलपुरा इलाके में रेलवे की जमीन से कब्जा हटाने का आदेश दिया था।
हल्द्वानी से कांग्रेस विधायक सुमित हृदयेश के नेतृत्व में क्षेत्र के निवासियों ने सोमवार को उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।
रेजिडेंट्स हाई कोर्ट के आदेश के अनुपालन में रेलवे की जमीन से अतिक्रमण हटाने का विरोध कर रहे हैं।
Follow @JansamacharNews