नई दिल्ली,ख् 30 अप्रैल, (जनसमा)। केन्द्रीय कृषि एवं कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने देश में लगातार दो वर्ष बहुत कम वर्षा होने के बारे में बताते हुए कहा, “स्थिति की गंभीरता को समझते हुए अप्रैल, 2015 में भारतीय मौसम विभाग द्वारा मानसून के बारे में की गई भविष्यवाणियों के फौरन बाद भारत सरकार ने राज्य सरकारों के सहयोग से सूखे के प्रभाव को कम करने के प्रयोजनार्थ तेजी के साथ एक बहुआयामी कार्यक्रम शुरू किया।” कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह शनिवार को यहाँ सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न उपायों की जानकारी दे रहे थे।
उन्होंने बताया कि राज्य कृषि विश्वविद्यालयों, राज्य सरकारों, कृषि विज्ञान केंद्रों एवं कृषि अनुसन्धान परिषदों के सहयोग से केंद्रीय अनुसंधान कृषि शुष्क भूमि संस्थान (सीआरआईडीए) ने कृषि संबंधी उत्पादन को कायम रखने के लिए स्थान विशिष्ट योजनाओं को कार्यान्वित करने के प्रयोजनार्थ 600 जिलों के लिए एक आकस्मिकता योजना बनाई गई। राज्य सरकारों के साथ साप्ताहिक वीडियो कांफ्रेंस के जरिए वर्षा की किस्मों, बीजों की आपूर्ति, सूखें के प्रभाव और अन्य संबंधित समस्याओं पर विचार विमर्श किया गया। फसल मौसम निगरानी समूह की भी साप्ताहिक बैठकें की गई। सूखा प्रतिरोधक बीजों और कम पानी द्वारा सघन फसलों से संबंधित बीजों की पर्याप्त मात्रा उपलब्ध कराई गई।
राधा मोहन सिंह ने कहा कि राज्यों ने मृदा और नमी संरक्षण, सूक्ष्म सिंचाई और भू-जल रिचार्ज जैसे विभिन्न कदम उठाए। दो लगातार सूखाग्रस्त वर्षों के बावजूद इन प्रयासों से यह सुनिश्चित हुआ कि देश में समग्र कृषि उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ा है। परिणामतः 2014-15 की तुलना में 2015-16 में ज्यादा सूखा होने के बावजूद द्वितीय अग्रिम अनुमान के अनुसार ज्यादा उत्पादन अनुमानित है।
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