सेंसर बोर्ड होना चाहिए, सेंसर की कैंची नहीं : राकेश ओमप्रकाश मेहरा

रीतू तोमर===

नई दिल्ली, 11 जून | पंजाब के प्रेमी युगल मिर्जा-साहिबा की प्रेम कहानी से अधिक लोग वाकिफ नहीं हैं। इस अनूठी प्रेम कहानी से दर्शकों को रू-ब-रू कराने के लिए निर्देशक राकेश ओमप्रकाश मेहरा अपनी फिल्म ‘मिर्जिया’ लेकर आ रहे हैं। उन्होंने फिल्म की कहानी, गुलजार के साथ काम करने के अनुभव और सेंसरशिप जैसे कई मुद्दों पर आईएएनएस से खास बातचीत की।

मिर्जा-साहिबा के प्रेम संबंधों पर फिल्म बनाने के विचार के बारे में पूछने पर राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने आईएएनएस को बताया, “मैंने आज से 30-35 साल पहले कॉलेज में मिर्जा-साहिबा का प्ले देखा था। तभी से मेरे अंदर यह सवाल था कि साहिबा ने मिर्जा के तीर क्यों तोड़े? यह सवाल तब से मेरे जेहन में था और इसी इच्छा ने आज फिल्म का रूप लिया है।”

मेहरा के अनुसार, “यह मेरी वर्षो पुरानी इच्छा थी जिसे मैंने पूरा किया है। यह फिल्म प्यार, चाहत, ईष्र्या, त्याग, धोखा सभी तरह के भाव समेटे हुए है।”

मेहरा ने बताया कि फिल्म की कहानी गुलजार ने लिखी है तो आप समझ ही सकते हैं कि यह किस हद तक छाप छोड़ने वाली होगी। वह गुलजार को अपना गुरू मानते हैं।

गुलजार के साथ काम करने के अनुभव के बारे में उन्होंने कहा, “गुलजार साहब के साथ काम करना मेरी खुशकिस्मती है। उनके साथ काम करना मेरे करियर का एक टर्निग प्वाइंट है। मुझे उनके लेखन से खुद को जोड़ने का मौका मिला।”

‘मिर्जिया’ से अनिल कपूर के बेटे हर्षवर्धन कपूर अपने फिल्मी करियर की शुरुआत कर रहे हैं। फिल्म में मुख्य किरदार के लिए हर्षवर्धन का चुनाव क्यों किया गया, इस बारे में उन्होंने कहा, “हर्षवर्धन कहानी की जरूरत थे। इस फिल्म में मुख्य भूमिकाओं में नए चेहरों की जरूरत थी।”

फिल्म ‘उड़ता पंजाब’ को लेकर सेंसरशिप विवाद पर राकेश ओमप्रकाश मेहरा काफी स्पष्ट राय रखते हैं। उन्होंने आईएएनएस को बताया, “सेंसर बोर्ड में सुधार की जरूरत है। समाज बदलाव चाहता है और यही समय की मांग है। इस हिसाब से सेंसरशिप में भी बदलाव की जरूरत है। सेंसर बोर्ड होना चाहिए, लेकिन सेंसर की कैंची नहीं होनी चाहिए।”

वह कहते हैं, “आप किसी को यह नहीं कह सकते कि क्या बनाएं और क्या नहीं बनाएं। आपका काम प्रमाणन है। आप सिर्फ यह तय कर सकते हैं कि किस फिल्म को किस उम्र वर्ग के लोग देखें। उसी के अनुरूप आप-प्रमाण पत्र दें। हमारे देश में 18 साल से अधिक उम्र का व्यक्ति देश का प्रधानमंत्री चुन सकता है तो वह कोई भी फिल्म देख सकता है।”

वह कहते हैं, “कलाकारों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन नहीं होना चाहिए। अगर यही हालात रहे तो फिल्मकार फिल्में बनना बंद कर देंगे।”

अमूमन, गंभीर विषयों और सामाजिक ताने-बाने पर फिल्में बनाने के लिए पहचाने जाने वाले राकेश ओमप्रकाश मेहरा कॉमेडी फिल्मों के शौकीन हैं। वह कहते हैं, “मैंने कई बार कॉमेडी मूवी बनाने की सोची भी। दिल्ली-6 बनाई भी, लेकिन वह ब्लैक कॉमेडी हो गई।”

राकेश ओमप्रकाश मेहरा कहते हैं कि फिल्मों को लेकर उनकी सोच स्पष्ट है। वह वही फिल्में बनाते हैं, जो उन्हें समझ आती हैं। वह कहते हैं, “अगर सिर्फ पैसे बनाने के लिए ही फिल्में बनानी होती तो शेयर बाजार में चला जाता। वहां पैसे भी अधिक कमाता और मेहनत भी कम लगती।”

वह अपनी आगामी फिल्मों के बारे में कहते हैं, “मेरा काम लेखन पर अधिक रहता है। ‘मेरे प्यारे प्राइम मिनिस्टर’, ‘राजा’ जैसी फिल्मों पर काम कर रहा हूं। इसके अलावा निर्माण क्षेत्र में भी लगा हुआ हूं।”           –आईएएनएस

(फाइल फोटो)