पार्वती माता मंदिर

सोमनाथ मंदिर परिसर में बनाया जाएगा पार्वती माता मंदिर

 

गुजरात के श्री सोमनाथ मंदिर परिसर में पार्वती माता मंदिर बनाया जाएगा। प्रस्तावित पार्वतीमाता मंदिर 1650 वर्गमीटर के क्षेत्रफल एवं 71 फीट की ऊंचाई के साथ एक भव्य संरचना होगी।

पार्वती माता मंदिर के निर्माण में अंबाजी, बनासकांठा के अरास पत्थरों का उपयोग किया जायेगा। मूल मंदिर के अनुरूप 44 स्तम्भ होंगे, जिन्हें कलात्मक तरीके से संगमरमर का उपयोग करके बनाया जाएगा।

पार्वती माता मंदिर का मुख्य गर्भ गृह 380 वर्गमीटर का होगा, जबकि नृत्य मंडप का क्षेत्रफल 1250 वर्गमीटर होगा।

प्रसाद योजना के तहत गुजरात राज्य के लिए शुरू की जाने वाली नई परियोजनाएं हैं: मां अंबाजी मंदिर, बनासकांठा में तीर्थयात्री सुविधाओं का विकास और सोमनाथ में सार्वजनिक प्लाजा/एंट्री प्लाजा का विकास।

तीर्थयात्रियों की आवाजाही का प्रबंधन करने और मंदिर परिसर में पैदल चलने वालों की आवाजाही को नियंत्रित करने के लिए सार्वजनिक प्लाजा/ एंट्री प्लाजा अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस होगा।

इन अत्याधुनिक सुविधाओं में दिव्यांगजनों और आपातकालीन वाहनों (एम्बुलेंस और अग्निशमन वाहन) के लिए पार्किंग की सुविधा शामिल होगी। एंट्री प्लाजा की इमारत में विश्राम कक्ष, अमानती सामान घर (क्लोक रूम), कैफेटेरिया तथा महिलाओं एवं पुरुषों के लिए शौचालय और तीर्थयात्रियों की कतार के लिए बने परिसर में भीड़ को नियंत्रित करने के लिए छतरी से युक्त व्यवस्था जैसी अन्य सार्वजनिक सुविधाएं होंगी।

आइकॉनिक डेस्टिनेशन डेवलपमेंट स्कीम (आईडीडीएस) के तहत तैयार मास्टर प्लान को ध्यान में रखते हुए इन सुविधाओं के लिए स्थान का प्रस्ताव किया गया है।

अंबाजी मंदिर से संबंधित परियोजना के तहत, पर्यटक सुविधा केंद्र, पार्किंग, सार्वजनिक सुविधाएं, अमानती सामान घर (क्लोक रूम), गब्बर हिल पर सीढ़ियों का विकास और अन्य सुविधाओं जैसे तीर्थ पर्यटन से जुड़े बुनियादी ढांचे को विकसित किया जाना है।

पर्यटन मंत्रालय द्वारा अपनी इंटीग्रेटड डेस्टिनेशन डेवलपमेंट स्कीम (आईडीडीएस) के तहत प्रतिष्ठित पर्यटन स्थलों में से एक के रूप में सोमनाथ के विकास को प्रस्तावित किया गया है, जिसमें प्रभास पाटन संग्रहालय, पर्यटक सुविधाएं, हाट आदि जैसे घटकों का विकास शामिल है।

इस पूरे क्षेत्र का व्यापक और समग्र विकास सुनिश्चित करते हुए इस विचाराधीन परियोजना के तहत सोमनाथ को बेहतर संपर्क– सुविधा (कनेक्टिविटी) प्रदान करने के लिए केशोद हवाई अड्डा, राष्ट्रीय राजमार्ग-51 का उन्नयन, सी-प्लेन सेवाओं का विकास आदि जैसे कुछ क्षेत्रीय उपाय भी प्रस्तावित हैं।

प्रसाद योजना

पर्यटन मंत्रालय ने वर्ष 2014-15 में चिह्नित तीर्थस्थलों और विरासत स्थलों के एकीकृत विकास के उद्देश्य से राष्ट्रीय तीर्थयात्रा कायाकल्प और अध्यात्मिक, विरासत संवर्धन अभियान’ (प्रसाद) शुरू किया था।

इस योजना के तहत विभिन्न परियोजनाओं को अंतिम रूप देने और उसे कार्यान्वित करने के क्रम में समान पहुंच की अवधारणा सबसे पहली और सबसे महत्वपूर्ण पहलू है।

इस योजना का उद्देश्य स्थलों पर तीर्थस्थल/धार्मिक और विरासत पर्यटन इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास का निर्माण है। वर्तमान में 24 राज्यों में 1,214.19 करोड़ रुपये की लागत वाली कुल 37 परियोजनाओं (15 पूरी हो चुकी परियोजनाओं सहित) को स्वीकृति दी जा चुकी है और योजना के तहत इन परियोजनाओं के लिए कुल 675.89 करोड़ रुपये की धनराशि जारी की जा चुकी है।

“प्रसाद योजना के तहत सोमनाथ, गुजरात में तीर्थयात्रा सुविधाओं के विकास से सम्बंधित परियोजना का अनुमोदन पर्यटन मंत्रालय द्वारा मार्च, 2017 में किया गया था। इस परियोजना की लागत 45.36 करोड़ रुपये थी।

परियोजना के विभिन्न घटकों जैसे ‘पार्किंग क्षेत्र विकास’, ‘पर्यटक सुविधा केंद्र’ और ‘ठोस अपशिष्ट प्रबंधन’ को सफलतापूर्वक पूरा करके जुलाई, 2020 में राष्ट्र को समर्पित किया गया था। विश्वस्तरीय तीर्थयात्रा पर्यटन के बुनियादी ढांचे की परियोजना को सफलतापूर्वक पूरा किया गया है।

इन सुविधाओं में शामिल हैं- यात्रियों के लिए अमानती सामान घर, सार्वजनिक सुविधा सहित प्रतीक्षालय, बच्चों के लिए कमरे, विशेष रूप से सक्षम, कारों, बसों और दोपहिया वाहनों के लिए पार्किंग, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, चिकित्सा सुविधाएं, स्मारिका दुकानें, पारंपरिक दुकानें, जलपान गृह, पुस्तकालय, बैठक हॉल, बहुउद्देश्यीय कक्ष, वरिष्ठ नागरिक कक्ष, सत्संग भवन, पेयजल, समर्पित पार्किंग, सौर ऊर्जा विद्युत गृह, उद्यान का विकास आदि।

इस योजना के तहत निर्मित पर्यटक सुविधा केंद्र में आज एक प्रदर्शनी गैलरी का उद्घाटन हुआ है, जिसे श्री सोमनाथ ट्रस्ट द्वारा विकसित किया गया है।

जूना सोमनाथ मंदिर परिसर के विकास कार्यों में सभी की पहुंच के लिए रैंप, आंगन, तीर्थयात्रियों के बैठने की व्यवस्था, 15 दुकानें, लिफ्ट और दो बड़े हॉल शामिल हैं। इसके लिए श्री सोमनाथ ट्रस्ट द्वारा 3.5 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं।

Image courtesy  Shri Somnath Mandir Trust