लखनऊ, 8 मई। बुध पारगमन भारत में सोमवार को शाम 4 बजकर 42 मिनट 28 सेकेंड से शुरू होकर सूर्यास्त तक दिखाई देगी। बुध पारगमन पूरी शताब्दी में औसतन 13 से 14 बार घटित होती है, लिहाजा यदि इसे देखने से चूक गए तो दोबारा यह खगोलीय घटना वर्ष 2019 में ही दिखाई देगी।
खगोलीय वैज्ञानिक डॉ. जी.के. द्विवेदी ने बताया कि वर्ष 2016 के सबसे दुलर्भ एवं आकर्षक खगोलीय घटना के अवलोकन के लिए सोमवार को बुध ग्रह सूर्य के सामने से होकर गुजरेगा। पृथ्वी से दिखाई देते वक्त यह घटना बुध पारगमन कहलाएगी।
उन्होंने बताया कि बुध ग्रह का नाम रोमन देवी मरकरी के नाम पर रखा गया। बुध ग्रह हमारे सौरमंडल का सबसे छोटा और सूर्य से पहला ग्रह है जो 50 किमी प्रति सेकेंड की गति से सूर्य के चारों ओर 88 दिनों में एक चक्कर लगाता है।
फोटो साभर : रात्रि में आकाश
डॉ. द्विवेदी ने बताया कि बुध ग्रह पर एक दिन पृथ्वी के 175.97 दिनों के बराबर होता है। बुध ग्रह का गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण का 38 प्रतिशत है जो इतना कम है कि बुध ग्रह का अपना कोई भी वायुमंडल नहीं हो सकता।
उन्होंने कहा कि बुध ग्रह की सतह का तापमान भी 800 फारेनहाइट (430 डिग्री सेल्सियस) तक पहुंच सकता है। सूरज के सबसे करीब होने के बावजूद भी बुध ग्रह हमारे सौरमंडल का सबसे गर्म ग्रह नहीं है। बुध ग्रह का अपना कोई भी चंद्रमा नहीं है।
डॉ. द्विवेदी ने बताया कि अब तक सिर्फ दो अंतरिक्ष यानों मेरिनर10 एवं मैसेंजर ने बुध ग्रह के बारे में जानकारियां भेजी हैं। अगर कोई बुध ग्रह की सतह पर खड़ा हो तो उसे सूर्य पृथ्वी पर से दिखने वाले सूर्य का तीन गुना बड़ा दिखाई देगा।
खगोलीय वैज्ञानिक ने बुध पारगमन के दौरान रखी जाने वाली सावधानियों के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि बुध पारगमन का नजारा नंगी आंखों से नहीं देखना चाहिए, वर्ना आंखों को नुकसान पहुंच सकता है। खगोलीय घटना देखने के लिए वैज्ञानिक तरीकों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए या कागज, काली फिल्म, रंगीन चश्मे एक्सरे फिल्म से खगोलीय घटना का आनंद लिया जा सकता है।
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