रायपुर, 8 जुलाई । बीजापुर जिले के सुदूरवर्ती वनांचलों में जहां पहले कभी बिजली की रोशनी नहीं पहुंची थी, वहां के 27 गांव अब सौर ऊर्जा से जगमगाने लगे हैं।
विपरीत परिस्थितियों व नक्सलियों के विरोध बीच ग्रामीणों में जागरूकता लाकर इन गांवों में बिजली पहुंचाना आसान नहीं था। मगर जिला प्रशासन और क्रेडा संस्था ने चुनौती भरे कार्य को पूरा करने में सफलता पाई है। यह दीगर विभागों के लिए भी अनुकरणीय है।
जिला प्रशासन की क्रेडा के माध्यम से यह कवायद 27 गांवों से आगे बढ़कर 78 गांवों तक बिजली पहुंचाने की है। बिजली आ जाने से ग्रामीणों के नीरस और बेजान जिंदगी में जहां नया सबेरा आ गया है, वहीं छात्र-छात्राओं में आगे पढ़ने की ललक और ग्रामीणों में आगे बढ़ने का उत्साह पैदा हो गया है।
बीजापुर जिला मुख्यालय से 52 किलोमीटर दूर भैरमगढ़ विकासखंड के ईतामपार व गुड़साकल के साथ-साथ नैनपाल (गंगालूर) व ढोलेगुड़ा सौर ऊर्जा की रोशनी से जगमगा रहे हैं। यहां आजादी के बाद पहली बार बिजली पहुंची है।
शुरुआती दौर में कठिनाइयों के बावजूद क्रेडा ने यहां ग्रामीणों को जागरूक कर सोलर प्लांट स्थापित किया और हर घर को बिजली से जोड़ दिया। प्रत्येक घर में तीन एलईडी बल्ब एवं सॉकेट लगाकर बिजली, पंखा के साथ-साथ टेलीविजन देखने की सुविधा दी गई।
संवेदनशील एवं दूरस्थ नैनपाल एवं ढोलेगुड़ा जहां आबादी कम है, वहां होम लाइट देकर रोशनी की सुविधा दी गई। ईतामपारा में 46, गुड़साकल में 70, नैनपाल में 10 व ढोलेगुड़ा में 08 परिवारों के घरों में सौर ऊर्जा की बिजली जगमगा रही है।
क्रेडा की यह कवायद 27 गांवों में पूरी हो रही है, जहां बिजली की कल्पना फिलहाल लोगों ने नहीं की थी। क्रेडा को इसी तरह के 78 गांव में बिजली पहुंचाने की जिम्मेदारी मिली है।
क्रेडा के जिला प्रभारी आशीष अग्निहोत्री ने बताया, “काम के दौरान नक्सली घटनाओं व लूटपाट के बावजूद कलेक्टर डॉ.अयाज तम्बोली ने हमारे टीम का निरंतर हौसला बढ़ाया तथा हर समस्या में साथ रहकर लक्षित गांव तक बिजली पहंचाने के लिए प्रोत्साहित किया।”
उन्होंने बताया, “जिन गांवों में बिजली की आपूर्ति शुरू की गई है, उसका प्रभाव दूसरे गांव तक जा रहा है। पहले इन गांवों में सोलर प्लांट लगाने के लिए ग्रामीण तैयार नहीं थे, लेकिन समझाने के बाद हमें सौर ऊर्जा से बिजली देने में कामयाबी मिली।”
अग्निहोत्री ने कहा कि ग्रामीणों का इसी तरह साथ मिला तो अगले छह महीनों में बीजापुर जिला पूर्ण विद्युतीकृत बनने में सफल होगा।
जिन गांवों में क्रेडा को बिजली पहुंचाने की जिम्मेदारी मिली है, वे सभी गांव दूरस्थ व दुर्गम होने के साथ-साथ अतिसंवेदनशील इलाके हैं। इन 78 गांवों में सीएसईबी ने सर्वे तक के काम को असंभव बताकर काम करने में असमर्थता व्यक्त कर दी थी। काम शुरू करने के दौरान क्रेडा को नक्सलियों ने नुकसान भी पहुंचाया व काम नहीं करने की हिदायत देकर नंबी व गुंजापरती में कर्मचारियों के साथ मारपीट कर सामान की लूटपाट की और कंट्रोलरूम तोड़ दिया। इसके बावजूद कलेक्टर डॉ. अयाज तम्बोली के मार्गदर्शन व प्रोत्साहन ने क्रेड़ा को इन गांवों में बिजली पहुंचाने के लिए प्रेरित किया।
शुरुआती दौर में कोई भी ग्रामवासी इस काम के लिए राजी नहीं हुआ। इसके बाद क्रेडा के अधिकारियों व कर्मचारियों ने बिजली के फायदे व भविष्य को बेहतर बनाने की बात से ग्रामीणों को जागरूक किया, तब जाकर सौर ऊर्जा से बिजली पहुंचाने की राह परवान चढ़ सकी। —आईएएनएस
(फाइल फोटो)
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