नई दिल्ली, 14 मार्च (जनसमा)। देश में पटरियों पर सामान बेचने वाले 20 लाख लोग हैं। दिल्ली के एनसीआर क्षेत्र में बीस हजार ठेलों, खोमचे वालों और विक्रेताओं को पायलट परियोजना के तहत प्रशिक्षण दियाजाएगा।इस परियोजना से स्ट्रीट फूड विक्रेताओं को मदद मिलेगी और इससे बीमारियों की रोकथाम में भी सहूलियत होगी।
केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण ने रविवार को क्लीन स्ट्रीट फूड अभियान शुरू किया। फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) के इस अभियान का उद्देश्य दिल्ली की सड़कों पर बिकने वाले स्ट्रीट फूड के सुरक्षा मानकों में इजाफा करना है। इसके तहत पहले चरण में सड़क के किनारे फूड आइटम बेचने वालों बीस हजार लोगों को प्रशिक्षण देकर उन्हें स्वास्थ्य और स्वच्छता के महत्व से परिचय कराया जाएगा।
क्लीन स्ट्रीट फूड परियोजना के एक हिस्से के तौर पर एफएसएसएआई, कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय के साथ मिल कर दिल्ली में 40 से ज्यादा केंद्रों पर खाद्य आइटम बेचने वालों को प्रशिक्षण देगा। इन लोगों को रिकॉगिनशन ऑफ प्रियर लर्निंग यानी आरपीएल श्रेणी के तहत ट्रेनिंग दी जाएगी। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम सरकार के फ्लैगशिप कार्यक्रम प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीआई) के तहत चलाया जाएगा।
दिल्ली खाद्य सुरक्षा आयुक्त और नेशनल एसोसिएशन ऑफ स्ट्रीट वेंडर्स ऑफ इंडिया (एनएएसवीआई) दिल्ली में स्ट्रीट फूड बेचने वाले विक्रेताओं को जागरुक करने के काम में लगे हैं। कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय के तहत आने वाले राष्ट्रीय कौशल विकास निगम से संबंधित पर्यटन और सत्कार क्षेत्र कौशल निगम (टीएचएससी) के तहत स्ट्रीट फूड विक्रेताओं को प्रशिक्षण दिया जाएगा। ट्रेनिंग पूरी कर लेने पर स्ट्रीट फूड विक्रेताओं को कौशल-सह-निबंधन पत्र दिया जाएगा।
एफएसएसआई ने एक मोबाइल एप भी लांच किया, जो लोगों को खाद्य इनफोर्समेंट मशीनरी से संपर्क बनाने में मदद करेगा ताकि वे खाद्य सुरक्षा के बारे में अपनी चिंता और सुझावों से अवगत करा सकें।
Follow @JansamacharNews