प्रदूषित हवा को शुद्ध करने के लिए स्माॅग टावर (smog tower) लगाने वाला दिल्ली देश का पहला राज्य है। 20 करोड़ रुपए की लागत से लगाए जा रहे स्माॅग टाॅवर का काम 15 अगस्त तक पूरा होगा और विशेषज्ञों इसके परिणामों का अध्ययन करेंगे। स्माॅग टाॅवर ऊपर से प्रदूषित हवा को खींचेगा और हवा को शुद्ध कर 10 मीटर की ऊंचाई पर छोड़ेगा।
इसकी ऊंचाई लगभग 25 मीटर है और 40×40 वर्ग मीटर इसकी परिधि होगी। यह स्माॅग टावर प्रति सेकेंड एक हजार घन मीटर हवा को शुद्ध करके बाहर निकालेगा।
दिल्ली में स्माॅग टावर का एक वर्ग किलोमीटर तक प्रभाव रहेगा, जिससे हवा के अंदर जो पीएम-2.5 और पीएम-10 यानी जो प्रदूषित हवा है, उसको साफ किया जा सकता है।
कनाॅट प्लेस में स्थापित किए जा रहे स्माॅट टाॅवर का आज दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने दौरा कर जायजा लिया।
स्माॅग टावर को बनाने में डीपीसीसी के साथ आईआईटी मुम्बई, एनबीसीसी और टाटा प्रोजेक्ट संयुक्त रूप से काम कर रहे हैं। यह पहला पायलट प्रोजेक्ट सफल रहता है, तो दिल्ली में इस तरह के और भी स्माॅग टावर लगाए जाएंगे।
स्माॅग टाॅवर का निरीक्षण करने के उपरांत पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने मीडिया से बातचीत में कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में दिल्ली के अंदर प्रदूषण के खिलाफ 10 सूत्रीय एक्शन प्लान को लेकर युद्ध स्तर पर काम हो रहा है। इसमें एंटी डस्ट कैंपेन, वाहन प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी, दिल्ली के अंदर इलेक्ट्रिक बसों को लाने का अभियान आदि शामिल है।
इसी तरह, पराली की समस्या से निपटने के लिए बायो डीकंपोजर का इस्तेमाल और दिल्ली के अंदर प्रदूषित ईंधन को बदलने का काम चल रहा है। साथ ही, दिल्ली के अंदर बड़े स्तर पर वृक्षारोपण किया जा रहा है। इस तरह, दिल्ली सरकार प्रदूषण के खिलाफ दिल्ली में लगातार काम कर रही है।
दिल्ली में अगर यह पहला पायलट प्रोजेक्ट सफल होता है, तो इस तरह के स्माॅग टावर दिल्ली के अंदर और जगहों पर भी लगाए जाएंगे।
गोपाल राय ने कहा कि इस तरह का स्माॅग टावर दुनिया में चीन में लगाया गया है, लेकिन चीन की तकनीक और हमारे इस स्माॅग टावर की तकनीक में थोड़ा फर्क है। हम जो स्माॅग टावर लगा रहे हैं, इसमें अमेरिकी तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। चीन में जो स्माॅग टावर लगा है, वह नीचे से वह हवा खींचता है और ऊपर से छोड़ता है। जबकि हम जो स्माॅग टावर लगा रहे हैं, उसमें हवा खींचने की प्रक्रिया उलट है। यह ऊपर से प्रदूषित हवा को खींचेगा और हवा को शुद्ध कर नीचे छोड़ेगा। इसमें चारों तरफ 40 पंखे लगे हैं, जो वायु को शुद्ध कर 10 मीटर की ऊंचाई पर छोड़ेंगे।
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