स्वच्छ भारत के लिए ‘जय गुरू शंकर बोल के निकलें’ : मोदी

सिबसागर, 05 फरवरी (जनसमा)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि मुझे असम में ही स्वच्छ भारत अभियान चलाना है। अगर आप लोग मन में ठान लें तो सरकार की जरूरत नहीं पड़ेगी। शंकर देव के नाम से जय गुरू शंकर बोल के निकलें। मैं नहीं मानता कि असम में कोई गंदगी रह सकती है। स्वच्छ भारत का अभियान असम में सिरमौर बन सकता है।

‘‘कोई कल्पना कर सकता है कि पांच शताब्दियां बीतने के बाद भी हम सब उस महापुरुष को याद करते हैं। उनके बताए हुए रास्ते पर चलने का प्रयास करते हैं। वो कैसी विलक्षण प्रतिभा होगी जिन्होंने सदियों तक समाज पर ऐसा गहरा प्रभाव छोड़ा है। ऐसे श्रीमंत शंकरदेव गुरुजन के चरणों में मैं प्रणाम करता हूं।’’

यह श्रद्धा व्यक्त की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने, जो सिबसागर, असम में श्रीमंत शंकरदेव संघ के 50वें वार्षिक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि श्रीमंत शंकरदेव जीवन को आध्यात्मिकता के रंग में रंगने के लिए नए मार्गदर्शक बने। क्या कोई सोच सकता है आध्यात्म और नाटक का संबंध। कोई सोच सकता है आध्यात्म और कला का संबंध। कोई सोच सकता है आध्यात्म और नृत्य का संबंध, कोई सोच सकता है आध्यात्म और गीत का संबंध।

शंकरदेव ने कला को, नृत्य को, नाट्य को, संगीत को, जो समाज जीवन की सहज वृति-प्रवृत्ति थी, उसको ही आध्यात्म के रंग में रंग दिया और उसके कारण श्रीमंत शंकरदेव आज भी हमारे लिए उतने ही रिलेवेंट हंै जितने कि उनके अपने जीवन काल में थे।

प्रधानमंत्री  ने कहा कि शंकरदेव ने पांच शताब्दी पहले अस्पृश्यता के खिलाफ, ऊंच-नीच के भेद के खिलाफ, सामाजिक एकता के लिए जहां गए वहां यह संदेश पहुंचाया कि समाज में जो विकृतियां हैं वो खत्म होनी चाहिए।

मोदी ने स्वच्छ भारत की चर्चा करते हुए