नई दिल्ली, 25 जुलाई (जस)। अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के चित्रकार स्व. सैयद हैदर रज़ा को रविवार को मध्यप्रदेश के मण्डला में खाक-ए-सुपुर्द कर दिया गया। वे 94 वर्ष के थे। उनका देहांत शुक्रवार को दिल्ली के एक निजी अस्पताल में हो गया था, जहां वे लगभग दो महीने से भर्ती थे और वेंटीलेटर पर थे।
स्व॰ रज़ा की अंतिम इच्छा के अनुसार उनको उनके पिता की कब्र के पास ही दफनाया गया। उनके प्रशंसकों, शिष्यों और कलाकारों ने मध्यप्रदेश के मंडला में बेहद खामोशी में और बिना तामझाम के खाक-ए-सुपुर्द कर दिया। उनका जन्म मण्डला जिले के बाबरिया गांव में 22 फरवरी, 1922 को हुआ था।
मण्डला, मध्यप्रदेश में स्व रजा की कब्र फोटो: जनसमा
दिल्ली में अनेक चित्रकारों और कलाकारों ने इस संवाददाता से कहा कि जिस जल्दबाजी में रजा का अंतिम संस्कार कर दिया गया वह मायूसी भरा और तकलीफ देने वाला है।
कलाकारों का कहना है कि उनके सहयोगी कुछ घंटों के लिए ही सही, दिल्ली में अंतिम दर्शन और श्रद्धांजलि के लिए कुछ समय देते और फिर मण्डला ले जाते।
स्व. रजा के निधन से भारतीय समकालीन कला का एक महत्वपूर्ण अध्याय समाप्त हो गया। वैदिक दर्शन की मूल अवधारणा ‘बिन्दु’ को उन्होने चित्रों के माध्यम से रेखांकित कर दुनिया को वैदिक विज्ञान को समझाने की कोशिश की और उसमें वे अत्यधिक सफल रहे।
सचमुच में स्व॰ रज़ा भारतीयता के पुरोधा शांत-चित्त योगी चित्रकार थे। वे साठ साल फा्रंस में रहे किन्तु उन्होंने अपनी नागरिकता नहीं बदली। स्व. रज़ा को मई 2016 में हृदयाघात हुआ था और वे 17 मई से साकेत के एक निजी अस्पताल में भर्ती थे।
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