चेन्नई, 28 फरवरी | सरकार के ‘जन-विरोधी बैंकिंग सुधारों’ के खिलाफ मंगलवार को 10 लाख बैंककर्मी हड़ताल पर हैं, जिसके कारण देशभर के बैंकों में कामकाज ठप है। बैंक यूनियन के एक नेता ने यह बात कही। हड़ताल का आह्वान ‘यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स’ (यूएफबीयू) ने किया है, जिसमें नौ संगठन शामिल हैं।
यूएफबीयू ने कर्मचारियों को नोटबंदी के कारण ज्यादा काम करने का मुआवजा देने की भी मांग की है।
अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (एआईबीईए) के महासचिव सी.एच. वेंकटचलम ने आईएएनएस को बताया, “व्यावसायिक बैंकों की करीब 85,000 शाखाएं, सहकारी बैंकों की 1,05,000 शाखाएं और अन्य बैंक भी हड़ताल पर हैं।”
उन्होंने कहा कि हड़ताल के कारण 40 लाख चैकों की निकासी रुकी हुई है, जिससे करीब 22,000 करोड़ रुपये का लेनदेन प्रभावित होगा।
हड़ताल में भारतीय स्टेट बैंक सहित सार्वजनिक क्षेत्र के सभी बैंक, पुरानी पीढ़ी के सभी निजी बैंक, विदेशी बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक तथा सहकारी बैंकों के कर्मचारी और अधिकारी शामिल हैं।
एक सरकारी बैंक के एक अधिकारी ने नाम न छापने के अनुरोध के साथ आईएएनएस से कहा, “बैंक लिपिकों को नोटबंदी के दौरान अतिरिक्त काम करने के लिए ओवरटाइम भत्ता मिलेगा। लेकिन अधिकारियों को कुछ नहीं मिलेगा और साथ ही हड़ताल के कारण उनका एक दिन का वेतन भी कटेगा।”
ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कंफेडरेशन (एआईबीओसी) के वरिष्ठ उपाध्यक्ष डी. थॉमस फ्रैंको राजेंद्र देव ने इस विचार से असहमति जताते हुए आईएएनएस से कहा, “हमारी मांग है कि सभी कर्मचारियों के साथ समान व्यवहार किया जाना चाहिए। और अधिकारियों को भी उनका जायज हक मिलेगा।”
उन्होंने कहा कि हड़ताल पूरे देश में सफल रही है।
वेंकटचलम ने कहा कि संघ की मांगों का कोई हल न निकलने पर यह कदम उठाया गया है।
मुख्य श्रम आयुक्त के साथ 21 फरवरी को हुई बैठक में भी कोई हल नहीं निकला, क्योंकि भारतीय बैंक संघ (आईबीए) ने एआईबीईए की मांगों को मानने से इंकार कर दिया।
अधिकांश सरकारी बैंकों ने ग्राहकों को सूचित कर दिया था कि अगर मंगलवार को हड़ताल हुई तो शाखाओं और कार्यालयों में कामकाज प्रभावित रहेगा।
आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक और ऐक्सिस बैंक समेत नई पीढ़ी के निजी बैंक संघ का हिस्सा नहीं हैं और उनमें सामान्य कामकाज जारी है, लेकिन चैकों की निकासी नहीं हुई है।
इसके अलावा नकदी लेनदेन भी प्रभावित रह सकता है। –आईएएनएस
Follow @JansamacharNews