हम गोलियों की बौछार के बीच शांति पर चर्चा नहीं कर सकते: राष्ट्रपति

नई दिल्ली, 25 जनवरी )| ‘आतंकवादी  मान्यता प्राप्त सीमाओं को नकारते हुए व्यवस्था को कमज़ोर करना चाहते हैं। यदि अपराधी सीमाओं को तोड़ने में सफल हो जाते हैं तो हम अराजकता के युग की ओर बढ़ जाएंगे। देशों के बीच विवाद हो सकते हैं और जैसा कि सभी जानते हैं कि जितना हम पड़ोसी के निकट होंगे, विवाद की संभावना उतनी अधिक होगी। असहमति दूर करने का एक सभ्य तरीका, संवाद है, जो सही प्रकार से कायम रहना चाहिए। परंतु हम गोलियों की बौछार के बीच शांति पर चर्चा नहीं कर सकते।’

यह दो टूक बात कही गणतंत्र दिवस 2016 की पूर्व संध्या पर भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का राष्ट्र के नाम संदेश में।

अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने कहा था, “शिक्षा का अंतिम परिणाम एक उन्मुक्त रचनाशील मनुष्य है, जो ऐतिहासिक परिस्थितियों और प्राकृतिक विपदाओं के विरुद्ध लड़ सकता है।”

राष्ट्रपति ने कहा कि ‘चौथी औद्योगिक क्रांति’ पैदा करने के लिए जरूरी है कि यह उन्मुक्त और रचनाशील मनुष्य उन बदलावों को आत्मसात करने के लिए परिवर्तन गति पर नियंत्रण रखे, जो व्यवस्थाओं और समाजों के भीतर स्थापित होते जा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि आधार 96 करोड़ लोगों तक मौजूदा पहुंच के साथ, आर्थिक रिसाव रोकते हुए और पारदर्शिता बढ़ाते हुए लाभ के सीधे अंतरण में मदद कर रहा है। प्रधान मंत्री जन धन योजना के तहत खोले गए 19 करोड़ से ज्यादा बैंक खाते वित्तीय समावेशन के मामले में विश्व की अकेली सबसे विशाल प्रक्रिया है। सांसद आदर्श ग्राम योजना का लक्ष्य आदर्श गांवों का निर्माण करना है। डिजीटल भारत कार्यक्रम डिजीटल विभाजन को समाप्त करने का एक प्रयास है।

राष्ट्रपति ने कहा, इस वर्ष 7.3प्रतिशत की अनुमानित विकास दर के साथ, भारत सबसे तेजी से बढ़ रही विशाल अर्थव्यवस्था बनने के मुकाम पर है। विश्व तेल कीमतों में गिरावट से बाह्य क्षेत्र को स्थिर बनाए रखने और घरेलू कीमतों को नियंत्रित करने में मदद मिली है। बीच-बीच में रुकावटों के बावजूद इस वर्ष उद्योगों का प्रदर्शन बेहतर रहा है।

राष्ट्रपति ने कहा कि पीढ़ी का परिवर्तन हो चुका है, युवा बागडोर संभालने आगे आ चुके हैं, ‘नूतन युगेर भोरे’ के टैगोर के इन शब्दों के साथ आगे कदम बढ़ाएं :
“चोलाय चोलाय बाजबे जायेर भेरी-
पायेर बेगी पॉथ केटी जाय कोरिश ने आर
देरी।”
यानी
“आगे बढ़ो, नगाड़ों का स्वर तुम्हारे विजयी प्रयाण की घोषणा करता है,
शान के साथ कदमों से अपना पथ बनाएं;
देर मत करो, देर मत करो, एक नया युग आरंभ हो रहा है।”