हम सब्सिडी हटाना नहीं चाहते, इसे तर्कसंगत बनाना चाहते हैं: जेटली

नई दिल्ली, 30 जनवरी। केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने शनिवार को ‘इकॉनॉमिक टाइम्स ग्लोबल बिजनेस समिट’ में बोलते हुए वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक पर कांग्रेस के विरोध पर कहा कि कांग्रेस ने ही इसकी शुरुआत की थी, इसलिए इसे लेकर उनकी तीन आपत्तियों पर मुझे हैरानी है। मैं उम्मीद करता हूं कि वे इसे लेकर लचीला रुख अपनाएंगे और जीएसटी पारित कराने के पीछे के औचित्य को समझेंगे।

(फाईल फोटोः वित्तमंत्री अरुण जेटली)

अरुण जेटली ने कहा कि उन्हें हैरानी है, लेकिन उन्हें उम्मीद है कि अर्थव्यवस्था पर इसके सकारात्मक प्रभाव को देखते हुए यह विधेयक संसद में पारित हो जाएगा।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने जो तीन मांगें रखी हैं, उनमें जीएसटी दर की अधिकतम सीमा का उल्लेख होना चाहिए, वस्तुओं के एक राज्य से दूसरे राज्य में आवाजाही पर प्रस्तावित एक प्रतिशत अतिरिक्त कर खत्म करना और राज्यों के बीच विवाद सुलझाने के लिए न्यायिक समिति का गठन शामिल है।

जेटली ने कहा कि बड़े सुधारों के लक्ष्य प्राप्त करने के लिए भारत को तेजी से बढ़ना होगा, ताकि गरीबी दूर की जा सके। जेटली ने कहा कि गरीबों को उनकी गरीबी से बाहर निकालने के लिए जरूरी है कि देश की आर्थिक वृद्धि दर 8-9 प्रतिशत के बीच हो।

अरुण जेटली ने कहा, “8-9 प्रतिशत की वृद्धि दर से ही गरीबी दूर की जा सकती है।” उन्होंने कहा कि भारत में आर्थिक वृद्धि हासिल करने की क्षमता है।

वित्तमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कथन का भी जिक्र किया, जिन्होंने एक दिन पूर्व इसी मंच पर सब्सिडी के बारे में कहा था कि सहायता केवल जरूरतमंदों को ही दी जानी चाहिए, चाहे उसे जो भी नाम दिया जाए।

जेटली ने कहा, “सरकार सब्सिडी के खिलाफ नहीं है। हम इसे हटाना नहीं चाहते, हम केवल इसे तर्कसंगत बनाना चाहते हैं।”

प्रधानमंत्री ने कहा था कि कॉरपोरेट करदाताओं को दिए गए प्रोत्साहन के कारण 62,000 करोड़ रुपये से भी अधिक की राजस्व हानि हुई थी। उन्होंने कहा, “मैं यह नहीं कह रहा कि सभी प्रकार की सब्सिडी अच्छी है। मेरा विचार है कि ऐसे मामलों में हमें व्यावहारिक होना चाहिए। हमें खराब सब्सिडी को हटा देना चाहिए, भले ही उन्हें कुछ भी नाम दिया गया हो।”