हरीश रावत ने केंद्र सरकार से मांगा 13 हजार करोड रूपये का पैकेज

देहरादून, 30 मई (जनसमा)। उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री हरीश रावत का कहना है कि आपदा की दृष्टि से संवेदनशील गांवों को सुरक्षित स्थानों पर पुर्नस्थापित करने के लिए केंद्र सरकार 13 हजार करोड रूपये का पैकेज स्वीकृत करे। नमामी गंगा/नेशनल मिशन फाॅर क्लीन गंगा के तहत उत्तराखण्ड में 12 कस्बों के लिए 707 करोड़ 60 लाख रूपए की विभिन्न डीपीआर को जल्द से जल्द मंजूरी दी जाए।

हरीश रावत ने सोमवार को नई दिल्ली साउथ ब्लाॅक स्थित प्रधानमंत्री कार्यालय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भेंट कर राज्य से विभिन्न मुद्दों पर उनका ध्यान आकृष्ट करते हुए आवश्यक कार्यवाही किए जाने का अनुरोध किया।

रावत ने कहा कि सीसीयू द्वारा स्वीकृत विशेष पुननिर्माण पैकेज के तहत सीएसएसआर के तहत 380 करोड़ 94 लाख रूपए, सीएसएसएफएमपी के तहत 141 करोड़ 98 लाख रूपये, एसपीएआर के लिए 400 करोड़ रूपये जल्द से जल्द अवमुक्त किए जाएं। बाह्य सहायतित परियोजनाओं के वित्त पोषण में 90ः10 के अनुपात को बरकरार रखा जाए। पीएमजीएसवाई के तहत 990 करोड़ रूपए की 189 डीपीआर को औपचारिक स्वीकृति प्रदान की जाए। पर्यावरण संरक्षण में उत्तराखण्ड के योगदान को देखते हुए राज्य को प्रतिवर्ष 4 हजार करोड़ रूपये की राशि प्रदान की जाए।

हरीश रावत ने प्रधानमंत्री को केदारनाथ धाम आने के लिए भी आमंत्रित किया। रावत ने कहा कि जून 2013 में केबिनेट कमेटी आॅन उत्तराखण्ड द्वारा राज्य में विशेष पुनर्निर्माण पैकेज स्वीकृत किया गया था। सीएसएसआर के तहत सिंचाई विभाग की 54 योजनाओं के लिए 657 करोड़ 79 लाख रूपए स्वीकृत किए गए थे। इसके तहत केंद्र सरकार से अभी भी 380 करोड़ 94 लाख रूपए की राशि अवमुक्त की जानी है। इसी प्रकार सीएसएसएफएमपी के तहत सिंचाई विभाग की 17 योजनाओं के लिए 265 करोड 83 लाख रूपये स्वीकृत किये गए थे। परन्तु भारत सरकार द्वारा इसके तहत 141 करोड़ 98 लाख रूपये अवमुक्त किये जाने है। इसी प्रकार सीसीयू द्वारा स्वीकृत पैकेज के तहत वर्ष 201617 में एसपीएआर के लिए 400 करोड़ रूपये अवमुक्त किये जाने है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 1969 में सात आधार पर राज्यों के लिए विशेष श्रेणी का दर्जा निर्धारित किया गया था। इन्हीं आधार पर वर्ष 2001 में उत्तराखण्ड को भी विशेष श्रेणी का दर्जा देते हुए वाह्य सहायतित परियोजनाओं में केन्द्र से सहायता राशि 90ः10 के अनुपात में मिलती थी। वर्तमान में संज्ञान में आ रहा है कि केन्द्र सरकार द्वारा इस 90ः10 के अनुपात को परिवर्तित किया जा सकता है। उत्तराखण्ड के सामरिक महत्व और विषम भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए ईएपी परियोजनाओं में 90ः10 के अनुपात को बनाये रखा जाए।

हरीश रावत ने प्रधानमंत्री को अवगत कराया कि एन.आर.डी.डब्ल्यू.पी. द्वारा राज्य के लिए बजटीय सहायता में 50 प्रतिशत की कमी की गई है। विश्व बैंक से वित्त पोषित स्वजल योजना भी बन्द हो गई है। इसे देखते हुए राज्य में पेयजल के क्षेत्र में केन्द्र द्वारा पर्याप्त सहयोग किए जाने की आवश्यकता है।

(फाइल फोटो)